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जानें नए साल में किस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति

Updated on Sunday, January 05, 2025 08:21 AM IST

चंडीगढ़  | मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर लोग गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इसके पश्चात, सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है और गुड़, तिल, खिचड़ी, गर्म कपड़े आदि का दान किया जाता है। इस प्रकार के कार्य करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज में महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान भी आयोजित होगा, जो महाकुंभ मेले के दूसरे दिन के रूप में मनाया जाएगा। मकर संक्रांति के दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और दान भी करते हैं। इस दिन लोग पितृ, देव और ऋषि ऋण से मुक्ति के लिए दान का कार्य करते हैं। मकर संक्रांति को खिचड़ी और उत्तरायणी के नाम से भी जाना जाता है।

2025 में किस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति

वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी 2025, मंगलवार को सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस कारण, 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाएगा। मकर संक्रांति के अवसर पर पूजा, स्नान और दान जैसे शुभ कार्य पुण्य काल में किए जाते हैं। 14 जनवरी को सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक पुण्य काल रहेगा, जबकि इस दिन महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक होगा।

मकर संक्रांति का स्नान और दान कब करना चाहिए?

मकर संक्रांति का स्नान और दान 14 जनवरी को पुण्य काल में सम्पूर्ण दिन भर किया जा सकेगा। यदि आप चाहें, तो महा पुण्य काल के दौरान सुबह 09:03 बजे से लेकर 10:48 बजे तक स्नान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह समय विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

मकर संक्रांति का महत्व

धार्मिक परंपरा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य उत्तरायण की ओर, अर्थात् मकर रेखा से उत्तर दिशा में प्रस्थान करते हैं। इस कारण इस उत्सव को उत्तरायणी भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। अनेक लोग इस अवसर पर भगवान सूर्य के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी आराधना करते हैं। पूजा-अर्चना के अतिरिक्त, मकर संक्रांति के पावन दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना और जरूरतमंदों को दान देना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

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