नई दिल्ली। भारत में अपनी धार्मिक मान्यताओं और आस्था के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां कई सारे मंदिर और तीर्थ स्थल मौजूद हैं, जिनके दर्शन करने देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। उत्तराखंड में मौजूद नीब करौली बाबा का आश्रम इन्हीं जगहों में से एक है, जहां लगभग रोजाना ही भारी संख्या में लोग दर्शन के लिए जाते हैं।
इतना ही नहीं देश-विदेश की कई मशहूर हस्तियां भी यहां बाबा का आर्शीवाद लेने आ चुकी हैं। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में बसा यह आश्रम एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जो 20वीं सदी के महान संत नीब करौली बाबा के लिए जाना जाता है। हालांकि, इस आश्रम को कैंची धाम के नाम से भी जाना जाता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों यह आश्रम कैंची धाम कहलाता है और क्या इसका इतिहास और इसका महत्व-
क्यों खास है कैंची धाम?
कैंची धाम एक मशहूर आश्रम है, जो नीब करौली बाबा की वजह से जाना जाता है। असल में इसका नाम नीब करौरी आश्रम है, लेकिन आम बोलचाल में इसे नीम करौली बोला जाने लगा है। यह आश्रम नैनीताल से करीब 17 किलोमीटर और भवाली से 9 किलोमीटर दूर स्थित है और इसकी आश्रम को 1960 के दशक में उस दौर के जाने-माने आध्यात्मिक गुरु नीब करोली बाबा ने बनवाया था। 15 जून, 1964 को नीब करौली बाबा और उनके भक्तों से इस आश्रम को बनाया था।
बाबा को महाराज जी के नाम से भी जाना जाता था और कई लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। इस मंदिर में नीब करौली बाबा के साथ-साथ हनुमान जी, राम-सीता समेत अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। वह हनुमान जी के परम भक्त थे औक उन्होंने अपनी जीवनकाल में हनुमान जी के कई मंदिरों को बनवाया था।
कौन थे नीब करौली बाबा?
नीब करौली बाबा, जिन्हें उनके भक्त महाराजजी के नाम से जानते हैं, का जन्म उत्तर प्रदेश (भारत) के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में एक धनी ब्राह्मण जमीदार परिवार में हुआ था। उनका नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और 11 साल की उम्र में भी उनकी शादी हो गई थी। हालांकि, शादी के तुरंत बाद वह घर छोड़कर गुजरात चले गए और पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर घूमते रहे। अपने पूरे जीवनकाल में कई चमत्कार किए और लोगों को जीवन जीने की राह दिखाई।
उन्होंने दो आश्रम भी बनवाएं, जिनमें से एक उत्तराखंड के नैनीताल जिले के कैंची में और दूसरा उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन में। उन्होंने वृंदावन को अपनी महासमाधि के लिए चुना। 10 सितंबर को आगरा पहुंचने के बाद वह तुरंत वृंदावन के लिए रवाना हो गए, जहां 11 सितंबर 1973 को उन्होंने महासमाधि ली।
क्यों कैंची धाम कहलाया बाबा का आश्रम?
नीब करौली बाबा का आश्रम कैंची में स्थित होने की वजह से कैंची धाम कहलाता है। उत्तराखंड सरकार की ऑफिशिय वेबसाइट के मुताबिक यह जगह दो पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो एक दूसरे को काटकर कैंची का आकार बनाती हैं, इसलिए इसे कैंची धाम कहा जाता है। कैंची मंदिर के पास एक गुफा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह वह जगह है, जहां महाराजजी ध्यान और प्रार्थना करते थे।