नई दिल्ली। भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पूजा बुद्धि, ज्ञान और शुभता के प्रतीक के रूप में होती है। गणेश जी का वाहन एक छोटा सा चूहा है, जिसे मूषक राज के नाम से जाना जाता है। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि आखिर गणेश जी ने मूषक राज को ही वाहन के रूप क्यों स्वीकार किया आइए यहां जानते हैं।
मूषक राज कैसे बनें बप्पा के वाहन?
गणेश पुराण के अनुसार, मूषक राज पहले क्रौंच नामक का एक गंधर्व था। एक बार उसने ऋषि वामदेव का अपमान किया, जिसके कारण ऋषि ने उसे चूहा बनने का श्राप दिया। चूहा बनने के बाद, क्रौंच ने ऋषि पराशर के आश्रम में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। उसने आश्रम में सब कुछ नष्ट कर दिया, जिससे ऋषि और अन्य निवासी बहुत परेशान हुए। ऋषि पराशर ने भगवान गणेश से मदद मांगी। भगवान गणेश ने क्रौंच को सबक सिखाने का फैसला किया। उन्होंने अपना पाश फेंका और क्रौंच को पकड़ लिया।
इसके बाद क्रौंच ने अपनी गलती के लिए भगवान गणेश से माफी मांगी। भगवान गणेश ने उसे माफ कर दिया, लेकिन उन्होंने उसे अपना वाहन बनने के लिए कहा। इसके बाद उसने भगवान गणेश के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और उनका वाहन बन गया। तब से मूषक राज भगवान गणेश के साथ हमेशा रहता है।
गणेश पूजा का महत्व
भगवान गणेश को हिंदू धर्म में प्रथम पूज्य माना गया है। किसी भी शुभ काम को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा होती है। भगवान गणेश को शुभता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है, जो लोग बप्पा की आराधना करते हैं, उनके जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और कार्य में सफलता मिलती है। इसके अलावा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।