चंडीगढ़ | वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पंजाब के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों को असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा कि इससे न केवल मुसलमानों बल्कि देश के सभी अल्पसंख्यक समुदायों में अविश्वास, अलगाव और असुरक्षा की भावना बढ़ेगी, जिससे देश में सांप्रदायिक सद्भाव की जगह नफरत बढ़ेगी।
सिद्धू ने आज यहां जारी एक लिखित बयान में कहा कि देश का संविधान प्रत्येक धार्मिक समुदाय को अपने धार्मिक स्थलों और संबंधित संपत्तियों के रखरखाव का अधिकार देता है, जिसे मोदी सरकार ने वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों के नामांकन का रास्ता खोलकर छीन लिया है। उन्होंने कहा कि इन संशोधनों से वक्फ बोर्डों की संस्थाओं की स्वायत्तता कमजोर होगी और इसमें सरकारी हस्तक्षेप बढ़ेगा, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों के दुरुपयोग का रास्ता खुल जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि सरकारी हस्तक्षेप बढ़ने से वक्फ सरकार को नियंत्रित करने वाली पार्टियां योग्यता के बजाय राजनीतिक निष्ठा के आधार पर बोर्डों में नियुक्तियां करेंगी, जिससे इन संपत्तियों का उपयोग मुस्लिम समुदाय के कल्याण के बजाय राजनीतिक लाभ के लिए होगा।
अल्पसंख्यक समुदायों में अविश्वास, अलगाव और असुरक्षा की भावना बढ़ेगी: बलबीर सिंह सिद्धू
कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार द्वारा किए गए संशोधनों में कुछ प्रावधान ऐसे हैं, जिनसे वक्फ बोर्डों की संपत्तियों पर कब्जा लेने और पिछले कब्जों को अंतिम रूप देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कुछ संशोधनों से वक्फ न्यायाधिकरणों की भूमिका कम हो गई है और संपत्ति विवादों को सुलझाने के लिए सिविल अदालतों को अधिक शक्तियां दे दी गई हैं, जिससे न्याय में देरी होगी और वक्फ संबंधी विवादों में और जटिलताएं बढ़ेंगी।
सिद्धू ने कहा कि सरकार ने ये संशोधन करने से पहले धार्मिक नेताओं, कानूनी विशेषज्ञों और मुस्लिम समुदाय के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों से उचित परामर्श नहीं किया। उन्होंने कहा कि संसद की संयुक्त समिति की बैठकों में भी इन संशोधनों पर उचित चर्चा नहीं होने दी गई। उन्होंने कहा कि सरकार का एकमात्र उद्देश्य देश के बहुसंख्यकों को खुश करना तथा मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कानून बनाकर उनके वोट हासिल करना है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा करके भारतीय जनता पार्टी आग से खेल रही है।