चंडीगढ़ । इस वर्ष की अंतिम अमावस्या सोमवार को आ रही है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। इस दिन श्रीहरि और पितरों के साथ महादेव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही, कुछ विशेष वस्तुओं का दान करना भी आवश्यक है। ऐसा करने से व्यक्ति को पितरों की कृपा प्राप्त होती है। यदि आप पितृ दोष का सामना कर रहे हैं, तो सोमवती अमावस्या के दिन पितृ स्त्रोत और पितृ कवच का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष समाप्त होता है, साथ ही सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।
पौष अमावस्या की तिथि
- पौष अमावस्या तिथि आरंभ: 30 दिसंबर, सोमवार, प्रातः 04:01 से
- पौष अमावस्या तिथि समाप्त: 31 दिसंबर, मंगलवार, प्रातः 03, 56 से
उदयातिथि के आधार पर पौष अमावस्या सोमवार 30 दिसंबर को होगी और इसीलिए यह अमावस्या सोमवती अमावस्या कहलाएगी।
पितरों को संतुष्ट करने के उपाय
सोमवती अमावस्या के अवसर पर पितरों को शांति प्रदान करने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष विधियाँ अपनाई जा सकती हैं। सबसे पहले, इस दिन पितृ चालीसा का पाठ करना आवश्यक है। नियमित रूप से पितृ चालीसा का पाठ करने से पितरों की नाराजगी समाप्त होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन विशेष रूप से पितरों के नाम से तर्पण और पिंडदान करना चाहिए, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
सोमवती अमावस्या के अवसर पर पितृ स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस क्रिया से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष समाप्त होता है। इसके साथ ही, यह सुख और समृद्धि में वृद्धि का कारण बनता है।
पितृ स्तोत्र
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।