चंडीगढ़ । खरमास एक विशेष समय होता है, जो साल में दो बार आता है।हिन्दू धर्म में इसे अशुभ माना जाता है, इसलिए इस समय कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, गृहप्रवेश, या मुंडन संस्कार नहीं किए जाते। धार्मिक दृष्टिकोण से यह समय भगवान की भक्ति, पूजा और आत्म-शुद्धि का होता है।
खरमास 2024 की तिथियां
2024 में खरमास 15 दिसंबर से शुरू होगा और 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन समाप्त होगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों का महत्व बढ़ जाता है। तुलसी पूजा में सूर्य को जल अर्पित करना और भगवान विष्णु की पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है।
तुलसी पूजा का महत्व
खरमास के दौरान पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह समय नकारात्मक ऊर्जा का अधिकतम होता है, जिसे पूजा और कुछ विशेष विधियों के माध्यम से शांति में बदला जा सकता है।तुलसी पूजा को इस दौरान सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक ग्रंथों में तुलसी को पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। नियमित रूप से तुलसी की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और परिवार के संकटों का निवारण होता है।
तुलसी पूजा के लाभ
तुलसी के पौधे को जल अर्पित करने और दीप जलाने से ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों में कमी आती है, जिससे सुख और समृद्धि आती है। ऐसा विश्वास है कि तुलसी पूजा से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं, और घर में खुशहाली आती है।
तुलसी पूजा के नियम
तुलसी पूजा करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए:
सुबह के समय तुलसी को जल अर्पित करें और शाम को दीपक जलाएं।
इस समय तुलसी की पत्तियां तोड़ना अशुभ माना जाता है, इसलिए इसका ध्यान रखें।
तुलसी पर सिंदूर या शादी के सामान का प्रयोग न करें।
तुलसी के पौधे के आसपास सफाई रखें और रोज उसकी आरती करें।
खरमास का आध्यात्मिक महत्व
खरमास के दौरान शुभ कार्यों पर प्रतिबंध का आध्यात्मिक संदेश है। यह समय आत्ममंथन, ध्यान और भगवान की भक्ति के लिए है। धार्मिक विश्वासों के अनुसार, इस समय किए गए दान, जाप या तपस्या का फल कई गुना बढ़ जाता है। खासकर तुलसी पूजा को पापों का नाश करने और जीवन में नई ऊर्जा लाने का एक प्रभावशाली उपाय माना गया है। खरमास के दौरान तुलसी पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।