चंडीगढ़ । हर महीने के अंत में पूर्णिमा का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की उपासना करने का विधान है। साथ ही गंगा स्नान करना अधिक शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कार्यों को करने से जातक को सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और धन लाभ के योग बनते हैं। दिसंबर में साल की अंतिम पूर्णिमा तिथि पड़ती है, जिसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 डेट और टाइम
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर को दोपहर 04 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 15 दिसंबर को दोपहर को 02 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर्व 15 दिसंबर को मनाई जाएगी।
पंचांग
- सूर्योदय -सुबह 07 बजकर 06 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 26 मिनट पर
- चन्द्रोदय- शाम 05 बजकर 14 मिनट से
- चन्द्रास्त-नहीं।
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
- विजय मुहूर्त -दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त -शाम 05 बजकर 24 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक
- अमृत काल- शाम 06 बजकर 06 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि
- इसके बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर श्रीहरि और देवी लक्ष्मी की मूर्ति को विराजमान करें।
- अब उन्हें गंध, पुष्प, फल, फूल और वस्त्र अर्पित करें।
- मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
- देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें।
- मंत्रों का जप सच्चे मन से करें।
- फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
- जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
इन मंत्रों का करें जप
मां लक्ष्मी के मंत्र
- या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
- या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥