01 अगस्त की बात है रात को करीब 2.00 बजे के आस पास अचानक मुझे पसीना आने लगा और दिल में बहुत तेज दर्द होने लगा मैं तड़पने लगा और जोर से चीख कर बेहोश हो गया I अचानक मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की मैं अल्केमिस्ट हॉस्पिटल में बिस्तर पर पड़ा हूँ और मेरे ऊपर एक सफ़ेद चादर मुहं तक ढकी हुई है | डॉक्टर बाहर जा रहे हैं, मैं भी उनके पीछे चल दिया | बाहर आकर डॉक्टर ने लोगों को बताया की वो मुझे बचा नहीं पाये | सब लोग रोने लगते हैं और मेरे शरीर को घर ले आते हैं | सुबह हो चुकी है , अरे ये क्या , ये तो मजा आ गया , मेरे अंदर कुछ नयी शक्तियां आ गयी हैं |