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बबीता, योगेश्वर, विजेंद्र व दीपा मलिक को रास नहीं राजनीति

June 24, 2020 11:27 AM
 
चंडीगढ़। कुश्ती, बाक्सिंग व एथलैटिक्स के माध्यम से पूरे विश्व में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले हरियाणा के खिलाडिय़ों को राजनीतिक पारी रास नहीं आई। महिला पहलवान बबीता फौगाट, योगेश्वर दत्तर, विजेंद्र कुमार। यह वो नाम हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा का डंका पूरे विश्व में बजाया। मैट और मिट्टी पर कमाल दिखाने वाले इन पहलवानों ने जब अपने जीवन में राजनीतिक के माध्यम से नई पारी शुरू करनी चाही तो जनता ने इन्हें खारिज कर दिया। आज यह सभी अपनी नौकरियों से इस्तीफे दे चुके हैं और राजनीतिक रूप से हाशिए पर हैं।

नौकरी से इस्तीफे देकर शुरू की थी नई पारी

बबीता फौगाट:नौकरी छोड़ी, चुनाव में तीसरे नंबर पर रही

भिवानी जिला के गांव बलाली निवासी बबीता फौगाट दंगल गर्ल के नाम से मशहूर हैं। अर्जुन अवार्डी एवं कॉमनवेल्थ विजेता बबीता फौगाट को उनकी उपलब्धियों के बल पर हरियाणा सरकार ने पुलिस में एसआई की नौकरी दी। बबीता राजनीति के माध्यम से अपना भविष्य संवारना चाहती थी। जिसके चलते उन्होंने एसआई की नौकरी से इस्तीफा दिया और पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गई।
भाजपा ने बबीता फौगाट को जिताऊ मानते हुए चरखी-दादरी से बतौर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिया। अपना क्षेत्र होने के बावजूद यहां के लोगों ने उन्हें नए रूप में स्वीकार नहीं किया और वह तीसरे नंबर पर आई। लॉकडाउन के दौरान कोरोना पॉजिटिव रोगियों को लेकर बबीता ने एक ट्वीट करके विवादों में घिरी। चुनाव हारने के बाद वह राजनीतिक रूप से पूर्णकालिक सक्रिय नहीं हैं।

योगेश्वर ने छोड़ी थी डीएसपी की नौकरी,फिर भी हारे
फ्री स्टाइल कुश्ती में माध्यम से कई रिकार्ड कायम करने वाले योगेश्वर दत्त मूल रूप से सोनीपत जिला के गांव भैंसवाल कलां के रहने वाले हैं। फ्री स्टाइल कुश्ती के माध्यम से राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड, अर्जुन अवार्ड और पदमश्री जैसे अवार्ड मिले हुए हैं। योगेश्वर दत्त को हरियाणा सरकार ने पुलिस विभाग में डीएसपी की नौकरी दी। योगेश्वर ने इस नौकरी के साथ-साथ राजनीति के माध्यम से अपना करियर को आगे बढ़ाने का प्रयास किया और पिछले साल डीएसपी के पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें बरौदा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतार दिया लेकिन कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा ने उन्हें 4840 वोट से हरा दिया। हारने के बाद योगेश्वर खास अवसरों पर ही राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखाई दिए। चुनाव के बाद उनकी सक्रियता भी खत्म हो चुकी है। भाजपा ने भी उन्हें सरकार में कोई पद नहीं दिया।

विजेंद्र ने कई जगह हाथ आजमाया पर नहीं मिली सफलता
 
वर्ष 2008 में बीजिंग ओलंपिक में भारत को सफलता दिलाने वाले बाक्सर विजेंद्र का अब तक का जीवन बेहद उतार चढ़ाव वाला रहा है। मूल रूप से भिवानी जिला के कालूवास निवासी विजेंद्र ने जब बॉक्सिंग के रिंग में कमाल दिखाई तो उन्हें कई विज्ञापनों में काम मिला। एक फिल्म में भी वह दिखाई दिए। हरियाणा सरकार ने उनकी उपलब्धियों को देखते हुए पुलिस में डीएसपी की नौकरी भी दी। प्रो बाक्सिंग में भाग लेने के मुद्दे पर विजेंद्र का हरियाणा सरकार के साथ विवाद भी हुआ लेकिन वह डीएसपी के पद से इस्तीफा देकर विदेश चले गए। विदेश से वापस आने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें दक्षिणी दिल्ली से चुनाव मैदान में उतारा लेकिन भाजपा के गौतम गंभीर ने विजेंद्र को हरा दिया। हारने के बाद विजेंद्र कांग्रेस पार्टी की संगठन की राजनीति में कहीं दिखाई नहीं दिए। उनका राजनीतिक भविष्य तभी बदल सकता है जब कांग्रेस सत्ता में होगी।

दीपा मलिक ने नौकरी छोड़ी न लोकसभा लड़ी न विधानसभा
 
दीपा मलिक शॉटपुट एवं जेवलिन थ्रो के साथ-साथ तैराकी एवं मोटर रेसलिंग से जुड़ी एक विकलांग भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 2016 पैरालंपिक में शॉटपुट में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा। 30 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरीज और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद उन्होंने न केवल शॉटपुट एवं जेवलिन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है। उन्होंने भारत की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक प्राप्त किये हैं। रियो पैरालंपिक खेल-2016 में दीपा मलिक ने शॉट-पुट में रजत पदक जीता।
मूल रूप से सोनीपत जिला के भैंसवाल गांव की निवासी दीपा मलिक पैरालिंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। पदमश्री दीपा मलिक ने पिछले साल मार्च माह के दौरान जूनियर एथलैटिक्स कोच के पद से इस्तीफा देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। यह तय माना जा रहा था कि दीपा मलिक को भाजपा लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली। इसके बाद विधानसभा चुनाव के दौरान भी दीपा की सभी तैयारियां धरी की धरी रह गई। दीपा नौकरी से इस्तीफा दे चुकी है,खेलों से सन्यास ले चुकी हैं और भाजपा ने उनके पद के अनुसार कोई तवज्जो नहीं दी है।
 
नगमा सिंह की रिपोर्ट
 
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