चंडीगढ़। अमृतपान करने वाला कोई निहंग अगर सनातन धर्म की बातें करता हुआ मिले तो यह देखने व सुनने में आश्चर्यचकित करने वाला लगता है। यह निहंग जितना सिख धर्म के प्रति आस्थावना है उतनी ही श्रद्धा सनातन धर्म में भी है। चंडीगढ़ के सैक्टर-47 में रहने वाले जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह मूल रूप से पंजाब के जिला रोपड़ के गांव रसूलपुर के रहने वाले हैं।
निहंग बाबा फकीर सिंह रसूलपुर के परिवार ने राम मंदिर ट्रस्ट मांगी स्वीकृति
सनातन धर्म की विचारधारा को मजबूत कर रहा पंजाब का निहंग
बाबा हरजीत सिंह ही नहीं बल्कि उनके पूर्वजों की भी भगवान राम के प्रति सच्ची श्रद्धा व आस्था रही है। इतना ही नहीं राम मंदिर को लेकर पहली बार अयोध्या में 30 नवंबर 1858 को सिखों के विरूद्ध हुई। यह पहला मौका था जब निहंगों ने बाबरी मस्जिद पर कब्जा करके यहां हवन किया था। एफआईआर में बकायदा यह बात लिखी गई है कि निहंग सिख, बाबरी ढांचे में घुस गए,राम नाम के साथ हवन कर रहे हैं। इस केस में अन्यों के अलावा निहंगा बाबा फकीर सिंह के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया। जत्थेदार हरजीत सिंह बाबा फकीर सिंह की आठवीं पीढ़ी के वंशज हैं।
उन्होंने बताया कि आज सिख पंथ को हिन्दू धर्म से अलग करके देखने वाले कट्टरपंथियों को जानना चाहिए कि राम मंदिर के लिए पहली एफआईआर हिन्दुओं के विरूद्ध नहीं सिखों के विरूद्ध हुई थी। क्योंकि सिख सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति के अभिन्न अंग व धर्म रक्षक योद्धा हैं।
जत्थेदार हरजीत सिंह ने कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल के साथ संबंध नहीं है। वह केवल सनातन परंपराओं के वाहक हैं। निहंगों तथा सनातन विचारधारा के बीच तालमेल बिठाते समय उन्हें कई बार आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा है। क्योंकि एक तरफ उन्होंने अमृतपान किया हुआ है तो दूसरी तरफ गले में रूद्राक्ष की माला भी पहली हुई है।
वह जितना गुरुग्रंथ साहिब के बारे में बोलते हैं उतना ही रामायण व गीता के बारे में भी बात करते हैं। जत्थेदार हरजीत सिंह भगवान राम के गर्भ गृह में स्थापना को लेकर खासे उत्साहित हैं। वह कई बार अयोध्या भी जा चुके हैं। अब उन्होंने राम मंदिर न्यास समिति से आग्रह किया है कि 22 जनवरी को मूर्ति स्थापना के अवसर पर उन्हें अयोध्या में लंगर लगाने की इजाजत दी जाए।
जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि उनके पूर्वज बाबा फकीर सिंह ने मुस्लिमों से मंदिर को आजाद करवाने के लिए सबसे पहले मोर्चा लगाया था। बाबा फकीर सिंह उस समय हवन करने वाले निहंगों में शामिल थे। जिसके चलते उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई और उन्होंने कई यातनाएं भी सही। बाबा फकीर सिंह व उनके परिवार को आजतक उचित मान सम्मान नहीं मिला।
उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उनके कुल से आठवें वंशज जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर अयोध्या में लंगर लगाकर फिर पहल करने जा रहे हैं। बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि कुछ लोग निजी स्वार्थों के चलते सनातन परंपरा का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ रामलला विराजमान हो रहे हैं तो इसके लिए कुर्बानी करने वालों का नाम भी सुनहरी अक्षरों में लिखा जाए। जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि जब भी देश व धर्म को जरूरत पड़ेगी तो वह तथा उनका परिवार कभी पीछे नहीं हटेंगे।