चंडीगढ़, 21 मई। हरियाणा में एक बार फिर से अफसरशाही द्वारा जनप्रतिनिधियों की अनदेखी किए जाने का मामला सामने आया है। गुरुवार को हरियाणा विधानसभा के स्पीकार ज्ञानचंद गुप्ता ने जब वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से करीब दो दर्जन विधायकों के साथ बैठक की तो विधायकों ने यह मुद्दा उठाया।
हरियाणा विधानसभा के इतिहास में गुरुवार को पहली बार कोरोना के चलते वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से बैठक हुई। स्पीकर ने सभी विधायकों से बातचीत करके उनके क्षेत्र की जानकारी ली। इस बैठक में विधानसभा स्पीकर ने जहां अगले एक साल के लिए विधानसभा द्वारा बनाई जाने वाली कमेटियों के बारे चर्चा की। इस बैठक में शामिल हुए बीस में से 16 विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों तथा कमेटियों के संबंध में सुझाव दिए। बैठक के दौरान ज्यादातर विधायकों ने अपने-अपने हलकों के अधिकारियों द्वारा उनकी सुनवाई न किए जाने का मुद्दा भी उठाया।
विधायकों का तर्क था कि उनके द्वारा फोन किए जाने पर भी अधिकारी उसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने कहा कि यह मुद्दा पहले भी कई प्लेटफार्म पर उठ चुका है। इसके अलावा यह मुद्दा विधानसभा में भी उठता रहा है। इसलिए अधिकारियों के खिलाफ कठोर कानून बनाने की जरूरत है। विधायकों ने जब एकजुटता के साथ यह मुद्दा उठाया तो स्पीकर ने विधायकों से लिखित शिकायत मांगते हुए कहा कि जल्द ही इस मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी।
विशेषाधिकार हनन समिति कर सकती है अधिकारियों को तलब
संविधान में विधायकों को भले ही मुख्य सचिव के समकक्ष अधिकार प्राप्त हैं। इसके बावजूद हरियाणा में अधिकारियों द्वारा विधायकों की सुनवाई न किए जाने का मामला अब गर्माता जा रहा है। आज हुई बैठक में कांग्रेस विधायक किरण चौधरी इसकी पैरवी करते हुए कहा कि जो अधिकारी विधायकों की अनदेखी करते हैं उन्हें विधानसभा की विशेषाधिकार हनन समिति के समक्ष तलब किया जाए। समिति को यह अधिकार दिया जाए कि वह ऐसे अधिकारियों से जवाब तलब कर सके।