चंडीगढ़, 08 अक्तूबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) : वीसी के खिलाफ यौन शोषण मामले को पीयू की कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरासमेंट (कैश) से ही जांच करवाने संबंधी लेटर को जारी करने में पूर्व चांसलर के ओएसडी अंशुमान गौड़ और पीयू रजिस्ट्रार पर पद के दुरुपयोग के महिला प्रोफेसर की ओर से लगाए गए आरोपों को सिंडिकेट बॉडी ने गलत बताया है। मामले को लेकर प्रोफेसर डीवीएस जैन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं जो आगे मामले की जांच करेगी। मामले में पीयू रजिस्ट्रार पर भी पद के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे। सिंडिकेट बॉडी के सदस्यों में सहमति बनी कि तत्कालीन चांसलर के ओएसडी ने लेटर को सेक्रेटरी से बातचीत कर आगे फॉरवर्ड किया है और इसमें रजिस्ट्रार की कोई भूमिका नही है। सदस्यों ने कहा कि महिला सीनेटर ने अपनी शिकायत में कहा है कि शायद हो सकता है कि ओएसडी ने जुबानी परमिशन सेक्रेटरी से ली हो और परमिशन लेने की संभावना भर जताई है। लेकिन चीफ इंफोर्मेशन कमिश्नर ने जानकारी में कहा कि ओएसडी ने लेटर भेजने की परमिशन शाब्दिक रूप से ली थी। पीड़ित महिला प्रोफेसर और सीनेटर ने आरोप लगाए थे कि पूर्व चांसलर के ओएसडी ने सेक्रेटरी टू चांसलर से मामले को लेकर कोई परमिशन नहीं ली और न ही किसी तरह की डिस्कशन लेटर भेजने से पहले की। उन्होंने मनमाने तरीक के पीयू कैश से मामले की जांच करवाने को लेटर लिखा। इसमें रजिस्ट्रार रिटायर्ड कर्नल जीएस चढ्डा की भी मिलीभगत थी। महिला प्रोफेसर को इस बात से आपत्ति है कि पीयू कैश से जांच नहीं करवाई जाए क्योंकि यह वीसी और प्रशासन के प्रभाव में है। किसी बाहरी स्वतंत्र एजेंसी मामले की जांच करवाई जाए। मामले को लेकर रजिस्ट्रार और शिकायतकर्ता महिला प्रोफेसर ने कुछ भी कमेंट देने से मना किया।
जांच जल्दी पूरी हो सिंडिकेट सदस्यों ने कहा कि वीसी के खिलाफ यौन शोषण मामले की जांच को जल्दी पूरा करवाया जाए। जांच की गति बढ़ाई जाए।