पंचकूला,13 अक्तूबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) : दिवाली पर इस बार पटाखों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पटाखों के स्टाल लगाने वालों को चिंता सता रही है कि सरकार द्वारा कहीं सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली में पटाखों के बैन के आदेशों को पंचकूला में न लागू कर दिया जाए। पटाखे लगाने के लिए स्टाल लगाने के लिए जिला प्रशासन ने आवेदन माग लिए हैं लेकिन राजनीतिक लोग कह रहे हैं कि जान-बूझकर लोगों को तंग करने के लिए सरकार द्वारा दिवाली से पहले ऐसे बयान जारी कर दिए जाते हैं जिससे लोगों को आफत हो जाती है।
पटाखे बनाने वाली फैक्ट्रियों को क्यों नहीं करते बैन
इनेलो के सिटी प्रधान एसपी अरोड़ा ने कहा कि पटाखे बेचने वालों के लिए इन दिनों काफी मुसीबत पैदा हो रखी है। पटाखे बेचने वाले हजारों रुपये के पटाखे खरीदकर ला चुके हैं लेकिन अभी भी परेशान है। पटाखों पर बैन लगाने के बजाय सरकार को पटाखा बनाने वाली फैक्ट्रियों पर ही बैन लगा देना चाहिए। परंतु वह ऐसा नहीं करती क्योंकि सरकार को इन फैक्ट्रियों के मालिकों से मोटा चंदा मिलता है। -काग्रेस के पूर्व वरिष्ठ उपप्रधान तरसेम गर्ग ने कहा कि पटाखे यदि नहीं बेचने तो सरकार को एक साल पहले ही नियम तय करने देने चाहिए। परंतु जब एक सप्ताह रह जाता है तो ड्रामेबाजी शुरू कर दी जाती है। अब जब पटाखा विक्रेता सामान ले आएं हैं तो उन्हें जिला प्रशासन द्वारा तंग किया जा रहा है। पटाखा विक्रेताओं के लिए साल में दो चार दिन ही आते हैं जब वह पटाखा बेच सकते हैं, लेकिन सरकार बस व्यापारी को तंग कर रही है।
-पूर्व पार्षद हरेंद्र सिंह सैनी ने कहा कि जल्द ही हिंदुओं के अंतिम संस्कार पर भी रोक लग सकती है। इसमें एक साप्रदायिक साजिश की बू भी नजर आती है। बार-बार हिन्दुओं के धार्मिक त्योहारों पर रोक लगाई जाती है। 'कभी दही हाडी, आज पटाखा बंद कर दिया जाता है। सभी को अपना रोजगार चलाने का अधिकार है। इसलिए यदि कोई प्रदूषण होता है तो पटाखों को बेचने की संख्या तय कर देनी चाहिए।
-समाजसेवी संजीव शर्मा ने कहा कि प्रदूषण पर रोक करने के लिए पटाखों पर रोक लगाना कोई गलत नहीं है लेकिन सभी भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। पटाखा विक्रेता भी बड़ी बेसब्री से दिवाली का इंतजार कर रहा होता है, इसलिए सरकारों को चाहिए कि इस संबंध में पॉलिसी बनाई जाए ताकि धार्मिक भावनाएं भी आहत न हो और पर्यावरण भी बचा रहे।