चंडीगढ,20मार्च। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल अन्त्योदय उत्थान का नारा लेकर प्रदेश के एक लाख निर्धनतम परिवारों की न्यूनतम आय एक लाख रूपए सालाना तक बढाने की बात तो कर रहे है लेकिन वे गरीब और पिछडे अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को दी जाने वाली पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के बजट में किए गए करोडों रूपए के घोटाले पर विधानसभा के पिछले 18 मार्च को सम्पन्न बजट स़त्र में चर्चा कराने को तैयार नहीं हुए। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कैग की रिपोर्ट में इस घोटाले का खुलासा किया गया है। कैग की यह रिपोर्ट 31 मार्च 2019 को समाप्त वर्ष के लिए पेश की गई थी। रिपोर्ट में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना में 89.05 करोड के घोटाले का खुलासा किया गया।
कैग रिपोर्ट में हुआ खुलासा
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कॉलरशिप वितरण का कार्य बगैर तैयारी के किया गया। अनुसूचित जाति और पिछडे वर्ग के पात्र छात्रों का पता लगाने के लिए उनका डाटा बेस तैयार नहीं किया गया। योजना को अमल में लाने के लिए सालाना कार्य योजना तैयार नहीं की गई। कैग ने वर्ष 2015 से 2019 तक पांच साल की अवधि के दौरान स्कॉलरशिप वितरण में किए गए घोटाले का खुलासा किया है। रिपोर्ट में बताया गया कि पांच साल के दौरान सिर्फ 52.24 प्रतिशत आवेदकों को स्कॉलरशिप का भुगतान किया गया। इसके अलावा 37 प्रतिशत आवेदकों के लिए स्कॉलरशिप मंजूर तो की गई लेकिन भुगतान नहीं किया गया। ऐसा तकनीकी शिक्षा विभाग के मामले में किया गया। विभाग ने 7 हजार 757 छात्रों के लिए कुल 17.98 करोड रूपए की रकॉलरशिप राशि मंजूर तो की लेकिन इसका भुगतान नहीं किया। हालांकि मंजूर की गई राशि कोषागार से निकाली गई थी। खर्च से बची राशि को बैंक में सरकार खाते में न रखने से 6.43 करोड के ब्याज का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रों के आधार नंबरों में हेरा-फेरी करके 18.98 करोड रूपए का संदिग्ध फर्जी भुगतान किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि 9.65 करोड रूपए के स्कॉलरशिप भुगतान में धोखधडी का संदेह है क्योंकि भुगतान का विवरण उपलब्ध अभिलेखों से सत्यापित नहीं किया जा सका। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि छात्रों के आय और जाति प्रमाणपत्रों की जांच पर्याप्त नहीं की गई और 1.91 करोड रूपए का अनियमित भुगतान किया गया।