चंडीगढ़, 19 मार्च। हरियाणा में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की छात्रवृत्ति योजना का लाभ लेने वाले दलित विद्यार्थियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। पिछले छह वर्षों के दौरान यह योजना जहां अक्सर विवादों में रही है वहीं विद्यार्थियों को कभी भी समय पर पैसा नहीं मिला है। जिस कारण विद्यार्थियों का इससे मोहभंग होता जा रहा है। कैग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। इतना ही नहीं, कैग रिपोर्ट में इसको लेकर गंभीर सवाल भी सरकार पर उठाए गए हैं। अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रधान सचिव से जब कैग ने जवाब मांगा तो कहा गया कि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन-पत्रों की प्रोसेसिंग होने के कारण लाभार्थियों की संख्या कम हुई है। साथ ही, यह तर्क भी दिया कि आवेदक ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करने के बारे में जागरूक न हों।
आवेदन मंजूर फिर भी नहीं मिला सभी को लाभ
छह सालों में चार गुणा कम हुए लाभार्थी
दाखिले के समय नहीं मिला छात्रवृत्ति का पैसा
केंद्र सरकार द्वारा उच्चतर शिक्षा के अलावा इंजीनियरिंग, डॉक्टरी व आईटीआई की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह योजना शुरू की गई है। पहले छात्रवृत्ति का पैसा सीधा संबंधित कॉलेजों-यूनिवर्सिटी व शैक्षणिक संस्थानों को दिया जाता था। वर्तमान में यह पैसा सीधा विद्यार्थियों के बैंक खातों में जा रहा है। पूर्व की हुड्डा सरकार के मुकाबले प्रदेश में छात्रवृत्ति सूची में शामिल एससी विद्यार्थियों की संख्या चार गुणा के करीब कम हो गई। हुड्डा सराकर में 2013-14 के दौरान 1 लाख 40 हजार 804 विद्यार्थियों को इसका लाभ मिला। वहीं 2014-15 में 1 लाख 38 हजार 837 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी गई। खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में 2015-16 के दौरान महज 17 हजार 894 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिल सकी। वहीं 2016-17 में 37 हजार 827 विद्यार्थियों को इसका लाभ मिला। 2017-18 में 45 हजार 903 तथा 2018-19 के दौरान 37 हजार 658 विद्यार्थियों को ही छात्रवृत्ति मिली। इसमें भी बड़ी बात यह है कि इनमें से आधे के करीब विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का पैसा भी देरी से दिया गया। हजारों की संख्या में ऐसे विद्यार्थी हैं, जिनका नाम लिस्ट में तो आया लेकिन सरकार ने उनके बैंक खातों में स्कॉलरशिप की राशि जमा नहीं करवाई। वर्ष 2015-16 में 1 लाख 10 हजार विद्यार्थियों ने आवेदन किया। इनमें से महज 18 हजार विद्यार्थियों के बैंक खातों में ही पैसा जमा करवाया गया। 92 हजार विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की राशि ही नहीं मिली। 2016-17 में 46 हजार आवेदकों में से 38 हजार के बैंक खातों में पैसा जमा हुआ और इस वर्ष भी 8 हजार विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित रहे। 2017-16 में सभी 46 हजार विद्यार्थियों को राशि मिली। 2018-19 में 66 हजार आवेदन करने वाले विद्यार्थियों में से 28 हजार को पैसा नहीं मिला। केवल 38 हजार के खातों में ही छात्रवृत्ति का पैसा सरकार ने ट्रांसफर किया। इन चार वर्षों यानी 2015-16 से 2018-19 के बीच कुल 52 प्रतिशत के करीब विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिली और 48 प्रतिशत इससे वंचित रहे। संबंधित विभागों ने चयनित विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति बहुत देरी से जारी की। तकनीकी शिक्षा विभाग ने 11 हजार 167 छात्रों में से 7182 विद्यार्थियों को पैसा देने में देरी की। इसी तरह एससी-बीसी कल्याण विभाग ने 41 हजार 35 विद्यार्थियों में से 35 हजार विद्यार्थियों को समय पर छात्रवृत्ति नहीं दी। उच्चतर शिक्षा विभाग और भी लापरवाह रहा। 64 हजार 625 विद्यार्थियों में से 56 हजार 975 को उच्चतर शिक्षा के लिए मिलने वाला पैसा बहुत देरी से मिला। ऐसे में विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हुई।