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Haryana

हरियाणा की सभी सरकारों ने जमकर लिया कर्ज

March 19, 2021 07:17 PM

चंडीगढ़। हरियाणा में अब तक सत्ता संभाल चुकी कोई भी सरकार ऐसी नहीं है जिसने अपने कार्यकाल के दौरान कर्ज न लिया हो। पंजाब से अलग होने के बाद एक नवंबर 1966 को हरियाणा के अस्तित्व में आने के साथ ही कर्ज लेने का सिलसिला भी शुरू हो गया था। प्रदेश का कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ऐसे पहले मुख्यमंत्री थे जिनके कार्यकाल के दौरान कर्ज लेने की संख्या चार अंकों में पहुंच गई। इसके बाद सत्ता में आई सरकारों के कार्यकाल के दौरान कर्ज लेने यह सीमा असीमित होती चली गई। 

प्रदेश के वित्तीय हालातों पर विधानसभा में पेश हुई रिपोर्ट

एक नवंबर 1966 से ही शुरू हो गई कर्ज लेने की शुरूआत

हरियाणा विधानसभा में गोहाना के विधायक जगबीर मलिक ने एक नवंबर 1966 से अब तक लिए गए कर्ज के बारे में सरकार से जवाब मांगा तो प्रदेश सरकार ने वित्तीय हालातों पर रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1966-67 में हरियाणा बनने के बाद सबसे पहली बार केंद्र से दो करोड़ 35 लाख रुपये का कर्ज लिया गया। जिस राशि से सरकार ने प्रदेश को अपने पांव पर खड़ा होने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया। इसके बाद वर्ष 2005 तक चौधरी देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल तथा ओम प्रकाश चौटाला ने ज्यादातर समय हरियाणा में सरकार चलाई। इन सभी मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने कार्यकाल के दौरान कर्ज लिया। वित्त वर्ष 2004-5 तक हरियाणा की तरफ 40 हजार 918 करोड़ का कर्ज था। इसके बाद सत्ता में आई भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2014 तक सत्ता संभाली और जमकर कर्ज लिया। हुड्डा ने अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम वर्ष में सर्वाधिक 17 हजार 712 करोड़ का कर्ज लिया। हुड्डा ने जब सत्ता छोड़ी तो प्रदेश की तरफ एक लाख 14 हजार 989 करोड़ से अधिक का कर्ज हरियाणा के सिर था। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई तो उन्होंने पिछली सरकार का रिकार्ड तोड़ते हुए कर्ज लिया। मनोहर सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2016-17 व 2017-18 के दौरान कर्ज लिए जाने की गति कुछ कम हुई लेकिन वर्ष 2019-20 में मनोहर सरकार ने 44 हजार 381 करोड़ का कर्ज लिया। आगामी वित्त वर्ष के दौरान कर्ज की सीमा को 44438.50 करोड़ का रखा गया है।

 
 
 
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