चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने दावा किया है कि प्रदेश में एक सरकारी स्कूल को चलाने के लिए प्रति विद्यार्थी सालाना औसतन 28 हजार रुपये का खर्च हो रहा है जबकि निजी स्कूल औसतन दस हजार रुपये खर्च करके भी बेहतर परिणाम देते हैं। ऐसे में हरियाणा सरकार को शिक्षा का मौजूदा ढांचा बदलने की जरूरत है। कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने गुरुवार को सदन में सरकारी स्कूल बंद किए जाने के मुद्दे पर सरकार को घेरा। भुक्कल ने डाइट केंद्रों में जेबीटी का प्रशिक्षण बंद करने के मामले पर भी सरकार से जवाब मांगा।
हरियाणा विधानसभा में सीएम ने कहा जेबीटी है सरप्लस नहीं होगी भर्ती
स्कूल बंद करने के फैसले को वापस नहीं लेगी सरकार
विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार को घेरते हुए यहां तक कहा कि सरकार का काम लोगों को सुविधाएं देना है। नये स्कूल खोलने की बजाय उन्हें बंद करने का फैसला किसी सूरत में सही नहीं है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सरकारी स्कूलों में बच्चों पर आने वाले खर्च के आंकड़े रखते हुए दो-टूक कहा कि राज्य में जेबीटी शिक्षक सरप्लस हैं। साढ़े 3 लाख जेबीटी पास ऐसे युवा हैं, जिन्होंने अध्यापक पात्रता परीक्षा भी पास की हुई है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के बाद जेबीटी की जरूरत और भी कम होगी। गेस्ट शिक्षकों की वजह से सरकार को 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की नीति को बदल कर 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक करना पड़ा। सीएम ने कहा कि वर्ष 2015-16 तक सरकारी स्कूल के एक बच्चे पर सालाना 22 हजार रुपये खर्चा हो रहा था, जो अब बढक़र 28 हजार के करीब पहुंच चुका है। वहीं प्राइवेट स्कूलों में एक बच्चे पर सालाना 8 से 10 हजार रुपये खर्च होते हैं। सरकार द्वारा 1057 सरकारी स्कूलों को बंद करने और 21 जिलों के डाइट सेंटरों में जेबीटी व डीएड कोर्स बंद करने के फैसले पर बृहस्पतिवार को विधानसभा में विपक्ष ने सरकार को घेरा। सीएम ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर अध्यापक विद्यार्थी अनुपात 1:30 का है। सीएम ने कहा कि जेबीटी का लेकर अब कोई क्रेज नहीं है। आने वाले दिनों में जेबीटी भर्ती नहीं होने के भी स्पष्ट संकेत सीएम ने दे दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्किल डेवलेपमेंट पर जोर देगी।