चेन्नई। कॉमेडियन कुणाल कामरा को तमिलनाडु की एक कोर्ट से राहत मिल गई है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर किए गए एक मजाक के कारण कानूनी मामले झेल रहे कामरा को तमिलनाडु के वनूर में जिला मुंसिफ-सह-न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी है।
गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा प्रदान करती है ट्रांजिट अग्रिम जमानत
कुणाल कामरा ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें ट्रांजिट अग्रिम जमानत मांगी गई थी, जो उस क्षेत्राधिकार से अलग क्षेत्राधिकार में गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा प्रदान करती है, जहां प्राथमिकी दर्ज की गई है। उनके मामले में, प्राथमिकी महाराष्ट्र के मुंबई में खार पुलिस द्वारा दर्ज की गई थी। मद्रास उच्च न्यायालय ने पिछली सुनवाई में कुणाल कामरा को 7 अप्रैल तक गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।
वनूर अदालत ने अनुरोधित राहत प्रदान की
न्यायमूर्ति सुंदर मोहन ने कामरा को औपचारिक रूप से अपनी जमानत सुरक्षित करने के लिए वनूर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया। इस निर्देश के बाद, वनूर अदालत ने अनुरोधित राहत प्रदान की।
मुंबई पुलिस ने कामेडियन कामरा को जारी किया तीसरा समन
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में मुंबई पुलिस ने मंगलवार को स्टैंड-अप कामेडियन कुणाल कामरा को तीसरा समन जारी किया। इस मामले में खार पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने उन्हें समन जारी कर पांच अप्रैल तक अपने समक्ष पेश होने को कहा है। इससे पहले पुलिस उन्हें दो बार समन जारी कर चुकी है। लेकिन, वह एक बार भी हाजिर नहीं हुए। यह मामला कामरा द्वारा महानगर के एक स्टूडियो में आयोजित एक शो में शिवसेना प्रमुख शिंदे के खिलाफ की गई तीखी टिप्पणियों से उपजा है। इसके विरोध में शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने स्टूडियो में तोड़फोड़ भी की थी।
कुणाल कामरा ने अपनी नई पोस्ट में बोला सरकार पर हमला
स्टैंडअप कामेडियन कुणाल कामरा ने एक नई पोस्ट में सरकार पर अपने विरोध में उठी आवाज को दबाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार अपने विरोध में उठी आवाज को दबाने के लिए ये तरीके अपनाती है। पहला, इतना ज्यादा आक्रोश फैलाओ कि कोई ब्रांड उसके साथ काम करना ही बंद कर दे। दूसरा, इतना ज्यादा विवाद पैदा कर दो कि निजी एवं कार्पोरेट शो भी रद कर दिए जाएं। तीसरा, इतनी हिंसा फैला दो कि बड़े मंच भी उनको मौका देने से डरें। चौथा, ये आक्रोश इतना फैलाओ की छोटे लोग भी उसके साथ काम करने से डरें। पांचवां, कला को अपराध बना दो और उसके दर्शकों को भी पूछताछ के लिए बुलाओ। फिर तो दो ही विकल्प बचते हैं कि अपनी आत्मा बेचकर कठपुतली बन जाओ, या शांत बैठ जाओ।