चंडीगढ़। भारत में एआई की लगातार बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए वर्ष 2026 तक देश में दस लाख एआई प्रोफेशनल की जरूरत होगी। यह जानकारी रिमोट प्रॉक्टर्ड मूल्यांकन और परामर्श कंपनी व्हीबॉक्स की तरफ से जारी की गई ‘इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2024’ में दी गई है।
व्हीबाक्स ने जारी की इंडिया स्किल्स रिपोर्ट
हरियाणा, महाराष्ट्र,यूपी,तेलंगाना में उच्च रोजगार योग्य युवाओं की संख्या अधिक
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एआई कौशल पैठ और प्रतिभा एकाग्रता में वैश्विक नेतृत्व की स्थिति का दावा करता है। अगस्त 2023 तक 4.16 लाख एआई पेशेवरों के स्थापित प्रतिभा आधार के साथ देश लगभग 6.29 लाख की वर्तमान मांग को पूरा करने के लिए तैयार है। यह आंकड़ा 2026 तक 10 लाख तक बढऩे की उम्मीद है।
व्हीबॉक्स के संस्थापक और इंडिया स्किल्स रिपोर्ट के मुख्य संयोजक निर्मल सिंह ने कहा कि इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2024 में व्हीबाक्स रोजगार योग्यता सर्वेक्षण देश के रोजगार योग्य युवाओं के बीच सूक्ष्म रुझान और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों को प्रकट करता है। भारत में पिछले वर्ष की तुलना में समग्र युवा रोजगार क्षमता में 51.25 प्रतिशत का सुधार हुआ है। बड़े प्रतिभा पूल वाले राज्यों में हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल और तेलंगाना में उच्च रोजगार योग्य युवाओं की संख्या सबसे अधिक है।
हरियाणा 76.47 प्रतिशत परीक्षार्थियों के साथ व्हीबाक्स नेशनल एम्पलॉसबिलिटी टेस्ट पर 60 प्रतिशत और उससे अधिक अंक प्राप्त करने के साथ सबसे आगे है। 22 से 25 वर्ष की आयु सीमा में उत्तर प्रदेश 74.77 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक प्रतिभा संकेन्द्रण के साथ सबसे ऊपर है और इसके बाद महाराष्ट्र 71.97 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। इसके अतिरिक्त, शीर्ष 10 शहरों में इस आयु वर्ग के भीतर समग्र रोजगार दर 63.58 प्रतिशत है। ये निष्कर्ष भारत में रोजगार परिदृश्य को प्रभावित करने वाले क्षेत्रीय विविधताओं और जनसांख्यिकीय कारकों को रेखांकित करते हैं।
उन्होंने कहा कि एआई में निवेश प्रौद्योगिकी से कहीं आगे तक फैला हुआ है। आईटी और व्यवसाय में विदेशी निवेश के लिए भारत का आकर्षण डिजिटल कल के हमारे सपनों को प्रेरित करता है। एआई-संचालित आर्थिक परिवर्तन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता एआई टास्क फोर्स और नीति आयोग की एआई के लिए राष्ट्रीय रणनीति जैसी सक्रिय पहलों के माध्यम से स्पष्ट है।
ईटीएस भारत और दक्षिण एशिया के कंट्री मैनेजर सचिन जैन ने कहा कि प्रौद्योगिकी के इतनी तेजी से विकसित होने के साथ विज्ञान सीखने में असली अंतर यह है कि इसे वैयक्तिकरण, विश्लेषण, सहज व्याख्याओं और कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि के माध्यम से कैसे लागू और बढ़ाया जाता है, जिसे एआई के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है।