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Punjab

पंजाब सरकार ने फैक्टरीज़ एक्ट की परिभाषा बदली

June 23, 2020 02:16 PM

चंडीगढ़, राज्य में बड़ी निर्माण इकाईयों की स्थापना और रोजग़ार के मौके पैदा करने को उत्साहित करने के लिए पंजाब सरकार ने इन इकाईयों की परिभाषा बदलने के लिए कानून और नियमों में संशोधन करने का फ़ैसला किया है। इसी तरह ऐसे उद्योगों के सुखद ढंग से चलने के लिए अन्य सुधारों का भी आग़ाज़ किया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग के दौरान एक बड़ी फैक्ट्री के लिए 500 से अधिक कामगारों की निश्चित सीमा को बढ़ा कर 1000 से अधिक कामगार करने के लिए फैक्टरीज़ एक्ट,1948 की धारा 45 (4) और पंजाब फैक्टरीज रूल्ज, 1952 के नियम 2(ए), 3(ए) और 70 (ए) में ज़रूरत संशोधन करने की मंज़ूरी दे दी है।

मंत्रीमंडल द्वारा बड़ी इकाईयों को उत्साहित करने और रोजग़ार के मौके पैदा करने के लिए अन्य सुधारों को मंजूरी

यह तबदीली बड़ी उत्पादन इकाईयों की स्थापति को उत्साहित करने के लिए ज़रूरी थी, क्योंकि सालों पहले बनाऐ नियमों, जिनमें से बहुत से मौजूदा समय में भी लागू होने योग्य नहीं हैं, के कारण उद्योगपति मौजूदा समय भी ऐसा करने से बचते हैं। मिसाल के तौर पर फैक्टरीज एक्ट, 1948 के लागू सैक्शन 45 (4) के अंतर्गत 500 से और ज्यादा वर्करों वाली फ़ैक्टरियों में एक एंबुलेंस कमरा होना ज़रूरी है। जब यह उपबंध बनाऐ गए थे, इतनी बड़ी संख्या में कामगारों को रखने वाली फ़ैक्टरियाँ शहरों से दूर स्थानों पर होती थी। इससे भी बढ़ कर, यातायात और संचार के साधन नामात्र ही थे। ई.एस.आई एक्ट के अनुसार ग़ैर-अमल क्षेत्रों और निजी अस्पतालों की सुविधा नज़दीक उपलब्ध न होने के कारण ई.एस.आई एक्ट के नियम ऐसी फ़ैक्टरियों पर लागू नहीं थे। इस कारण एंबुलेंस कमरो के प्रबंध की ज़रूरत थी जोकि मौजूदा समय संचार और यातायात के बढिय़ा साधनों के कारण ज़रूरी नहीं क्योंकि ऐसी फ़ैक्टरियों के नज़दीक ही कई अस्पताल और नर्सिंग होम उपलब्ध हैं।

एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, उद्योगों को जल्द फिर स्थापित करने के लिए सुविधा के उद्देश्य से किये यह संशोधनों के बाद भी कामगार की आज़ादी और हक पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।एक अन्य संशोधन करते हुये कैबिनेट ने कुछ तबदीलियाँ जैसे कि दफ़्तर के निर्माण, कार शैड, बाहरी दीवार आदि की आज्ञा फैक्ट्री की तरफ से बिना किसी अग्रिम मंजूरी के देने के लिए नियम 3(ए) बदलने का फ़ैसला किया। मौजूदा समय औद्योगिक इकाईयों को इमारती योजनाओं की बार-बार मंजूरी की ज़रूरत पड़ती थी जिससे उद्योगों को बहुत परेशानी होती थी

 
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