इलाहबाद ,25 नवंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) पहला और एकमात्र मंदिर , हालाकि अब तो लेटे हनुमान जी के कई मंदिर पूरे भारत में स्थापित हो चुके हैं परंतु इलाहाबाद में यमुना के तट पर बना बड़े हनुमान जी का मंदिर एकमात्र सबसे प्राचीन मंदिर है जहां पवनपुत्र शयनमुद्रा में दिखाई देते हैं। इस मंदिर का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसका विवरण वेदव्यास रचित पुराणों में में भी प्राप्त होता है। इस मंदिर का एतिहासिक महत्व भी है।
मंदिर की कहानी
कहते हें कि सूर्य भगवान से शिक्षा पूर्ण करने पश्चात जब हनुमान जी ने उनसे गुरू दक्षिणा मांगने के लिए कहा तो सूर्य ने कहा कि वे बाद में मांग लेंगे। परंतु लंबे समय तक जब सूर्य ने कुछ नहीं मांगा तो हनुमान ने पुन: याद दिलाया तो सूर्य ने कहा कि उनके वंश में अवतार लेकर विष्णु जी अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम बन कर अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास काट रहे हैं, हनुमान जा कर उनकी सहायता करें। जब हनुमान वहां जाने लगे तो भगवान ने उन्हें योग निद्रा में सुला दिया ताकि वे बिना उनकी मदद के सारा कार्य खुद ही समाप्त ना कर दें। यही वो स्थान है जहां हनुमान को निद्रा आ गई थी। इसीलिए वे यहां लेटी मुद्रा में हैं।
विशाल प्रतिमा का महात्मय
लेटे हनुमान जी की ये प्रतिमा लगभग 200 फीट लंबी है। कहते हें एक बार काफी पीड़ा होने पर माता सीता ने सिंदूर का लेप करके उनके शरीर पर लगाया था तभी से यहां लाल सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। यदि प्रयाग में कुंभ पड़ता है तो उसका पूरा फल तभी प्राप्त होता है जब संगम में स्नान के बाद लेटे हनुमान ज का दर्शन भी किया जाए।