चंडीगढ़ ,23 नवंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) : चंडीगढ़ पर अपना ज्यादा हक जताने वाला पंजाब धीरे-धीरे खुद अपनी पकड़ ढीली करता जा रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि आने वाले दिनों में पंजाब का प्रभाव भी चंडीगढ़ पर कम हो जाए। इसका सबसे बड़ा कारण चंडीगढ़ में अपने अधिकारी न भेजना है। अपने हित साधने के लिए जो पंजाब अधिकारियों के एक-एक पद के लिए लॉबिंग कर चंडीगढ़ पर दबाव बनाता था अब वह कई बार रिमाइंडर के बाद भी अधिकारियों का पैनल भेजने को तैयार नहीं है। पिछले एक साल में चंडीगढ़ प्रशासन छह से अधिक बार पंजाब सरकार को चिट्ठी लिखकर अधिकारियों की मांग कर चुका है। पैनल नहीं मिलने के कारण कई पद हरियाणा और एजीएमयूटी कैडर से भरे गए हैं।
एक तरफ रेशो मेंटेन करने की चिट्ठी दूसरी तरफ पैनल ही नहीं भेज रहे
पंजाब सरकार ने यूटी प्रशासन को चिट्ठी भेजकर 60-40 का रेशो मेंटेन करने की हिदायत दी है। इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर सिंह गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सामने भी यह बात उठा चुके हैं। हैरानी की बात तो यह है कि पंजाब खुद ही यह रेशो मेंटेन नहीं कर रहा। अपने कोटे की सीटों के लिए अधिकारियों के पैनल ही नहीं भेजे जा रहे हैं। नगर निगम कमिश्नर रहे बी. पुरुषार्थ और एमडी सिटको कविता सिंह चंडीगढ़ से दिल्ली डेपुटेशन पर जा चुके हैं। ये दोनों अधिकारी पंजाब कैडर के थे। एक महीना बीतने के बाद भी पंजाब ने दोनों अधिकारियों की जगह पैनल नहीं भेजा है। आइएएस अदप्पा कार्तिक की रिप्लेसमेंट भी नहीं मिल पाई है।
वित्त सचिव भी छह महीने बाद मिले
आइएएस सर्वजीत सिंह के पंजाब लौटने के बाद उनकी जगह छह महीने तक नियुक्ति नहीं हो सकी। पहले कई महीने तो पंजाब से पैनल ही नहीं मिला। फिर पैनल मिला तो उसमें प्रमोट हुए आइएएस होने की वजह से प्रशासन ने उसे वापस लौटा दिया। इस प्रक्रिया में छह महीने लग गए। इस कारण होम सेक्रेटरी अनुराग अग्रवाल ने इतने समय यह अतिरिक्त चार्ज संभाला।
60-40 का अनुपात जरूरी
चंडीगढ़ बनने के समय पंजाब से 60 और हरियाणा से 40 प्रतिशत अधिकारी रखने पर सहमति बनी थी। इसके तहत होम सेक्रेटरी हरियाणा का होगा तो फायनेंस और स्पेशल फायनेंस सेक्रेटरी पंजाब का। डीसी हरियाणा तो एडीसी का पद पंजाब का होगा। इसी तरह से पीसीएस और एचसीएस अधिकारियों का रेशो भी रहेगा।
एईटीसी पहले पंजाब तो अब हरियाणा के पास
असिस्टेंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर का पद पंजाब कोटे का रहा है। लेकिन पिछले दो बार से यह पद हरियाणा के कोटे से भरा जा रहा है। इसका मुख्य कारण पंजाब की तरफ से समय पर पैनल नहीं मिलना है।
हरियाणा से तुरंत भेजे जा रहे पैनल
हरियाणा सरकार चंडीगढ़ का महत्व अच्छे से जानती है। इसलिए अपने कोटे के पदों को भरवाने में देर नहीं लगाती। होम सेक्रेटरी का पैनल एक बार रिजेक्ट होते ही 15 दिन के भीतर दोबारा पैनल भेज दिया गया। अब अरुण कुमार गुप्ता, बिजेंद्र कुमार और पी अमनीत कुमार में से कोई एक यूटी होम सेक्रेटरी होंगे। वहीं, एईटीसी के पद पर पंजाब काबिज रहा है। लेकिन पंजाब से अधिकारी नहीं मिला तो हरियाणा ने पैनल भेजकर इसे भरवा लिया। अभी एचसीएस के पैनल में से भी अधिकारी विराट का चयन कर उन्हें सीएचबी में नियुक्त कर दिया।
अधिकारियों की कमी
पैनल नहीं मिलने के कारण यूटी में अधिकारियों की कमी से परेशानी लगातार बढ़ रही है। विकास कार्यो के साथ सभी प्रोजेक्ट की चाल धीमी हो गई है। दो साल पहले चंडीगढ़ में 18 आइएएस अधिकारी तैनात थे। अब यह संख्या घटकर 11 रह गई है। नगर निगम कमिश्नर जैसा महत्वपूर्ण पद भी खाली है। डायरेक्टर टूरिज्म कल्चरल अफेयर्स जितेंद्र यादव को इसका अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। डीसी अजीत बालाजी जोशी के भी दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के निजी सचिव के तौर पर तैनात होने की बात चल रही है। डीसी जोशी के डेपुटेशन पर जाते ही उनका चार्ज भी जितेंद्र यादव को दिया जाएगा।
अधिकारियों की संख्या
कैडर संख्या
पंजाब 2
हरियाणा 2
एजीएमयूटी 7
पंजाब से कई अधिकारियों के लिए पैनल भेजे जाने हैं। कई बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है। वह 60-40 का अनुपात तो तब मेंटेन करेंगे जब समय पर अधिकारियों का पैनल मिलेगा।
- केके जिंदल, पर्सोनल सेक्रेटरी, चंडीगढ़।