चंडीगढ़,23 नवंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) : भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों का कंसेंट लेने और मोलभाव करने (नेगोसिएशन) संबंधी ड्राफ्ट पॉलिसी को फाइनल कर प्रशासन ने प्रशासक वीपी सिंह बदनौर की मंजूरी के लिए भेज दिया है। अगले सप्ताह तक इस पर प्रशासक की मंजूरी मिल जाएगी। जिसके बाद प्रशासन नोटिफिकेशन जारी कर देगा। इस पॉलिसी के बाद प्रशासन की बड़ी मुश्किल हल हो जाएगी। भूमि अधिग्रहण करने के बाद जो परेशानियां सामने आती हैं, अब उनसे निजात मिल जाएगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आसान और तेज करने के लिए यूटी प्रशासन ने ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की है। इस पॉलिसी के तहत जमीन अधिग्रहण से पहले प्रशासन खुद किसान से मोलभाव (नेगोसिएशन) करेगा। नेगोसिएशन करने के लिए एक बोर्ड का गठन किया गया है। साथ ही दो कमेटी भी बनाई गई हैं, जिसमें एक कमेटी प्रशासक के सलाहकार और दूसरी लैंड इक्वीजेशन अधिकारी की अध्यक्षता में बनाई गई है। यही बोर्ड मार्केट रेट देखने के बाद नेगोसिएट कर भूमि अधिग्रहण का फाइनल रेट तय करेगा। यह सब होने के बाद बोर्ड नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी जारी करेगा। उक्त जमीन का प्रशासन विकास कार्यो के लिए अधिग्रहण कर रहा है। यह एनओसी में स्पष्ट करना होगा। पहले जहां भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में एक से डेढ़ साल लगता था, नई पॉलिसी के बाद इसे छह महीने में पूरा कर लिया जाएगा।
प्रक्रिया पूरी होते-होते बढ़ जाता है मुआवजा
शुरुआत में जमीन अधिग्रहण के समय जो मुआवजा तय किया जाता है। अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने तक मार्केट रेट उससे कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। जिसके बाद किसान बढ़े मुआवजे की मांग करने लगता है। बात नहीं बनने पर मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है। ऐसे बहुत से मामले हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में चल रहे हैं। कई मामलों में तो कोर्ट के आदेश होने पर प्रशासन को बढ़ा मुआवजा देना पड़ा है।
कैंबवाला के किसानों को मिला था बढ़ा मुआवजा
कैंबवाला गांव के किसानों को भी प्रशासन ने बढ़े रेट के हिसाब से मुआवजा अदा किया है। नई ड्राफ्ट पॉलिसी इसलिए बनाई जा रही है, ताकि मोलभाव होने के बाद तय रेट से ज्यादा मुआवजे की मांग न की जाए। इसलिए किसानों से उनकी सहमति ली जाएगी। अभी तक प्रशासन की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में एक साल से अधिक का समय लग जाता है। जिसमें मोलभाव करने के लिए कोई जरिया नहीं है। अगर कोई व्यक्ति अपनी जमीन प्रशासन को देना चाहता है तो उससे लैंड इक्वीजेशन एक्ट के तहत जमीन ली जाती है। जमीन को लेकर सोशल इंपेक्ट असेसमेंट भी करवानी होती है।
3 हजार से अधिक एकड़ का होगा अधिग्रहण
चंडीगढ़ के आस-पास लगते गांवों में कुल 3082.67 एकड़ रिजर्व लैंड है। जिसको एक्वायर किया जाना है। इसमें से 40.10 एकड़ जमीन सारंगपुर में और 56.14 एकड़ जमीन मनीमाजरा में एक्वायर की गई है। सबसे ज्यादा जमीन करीब 400 एकड़ सारंगपुर में अधिगृहीत की जानी है। धनास में भी काफी जमीन का अधिग्रहण होना है। आइटी पार्क और कैंबवाला में भी जमीन चिह्नित की गई है।