जालंधर,18 नवंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) जमीनों की ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व इलेक्ट्रोनिक्स पैमाइश का सिस्टम शुरू होने के साथ ही लगभग साढ़े चार सौ साल पुराना मुगल सम्राट अकबर के नवरत्न राजा टोडरमल के समय का लैंड रिकार्ड सिस्टम अतीत बन जाएगा। राजा टोडरमल ने जमीन रिकार्ड की नई प्रणाली सन 1571 में शुरू की थी, तब से लेकर आज तक वही प्रणाली चली आ रही है। हालांकि 20वीं सदी में इस प्रणाली में समाजवादी नेता छोटूराम ने कुछ सुधार किया था, लेकिन मूल सिद्धांत आज भी टोडरमल का ही है।
जमीनों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व पैमाइश का पायलट प्रोजेक्ट लांच होने से जहां इतिहास बदलेगा, वहीं जमीनों की पैमाइश और इंतकाल के नाम पर पटवारियों व कानूनगो का एकछत्र राज भी खत्म होगा। पैमाइश के नाम पर कोई पटवारी किसी की एक इंच जमीन भी इधर से उधर नहीं कर पाएगा। साथ ही सरकार को पूरी स्टाम्प फीस भी मिलेगी।
13 साल पुराना है सपना
ऑनलाइन रजिस्ट्री का कैप्टन अम¨रदर सिंह का सपना 13 साल पुराना है। इसी सपने के तहत उन्होंने 2004 में अपने पूर्व मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में प्रिज्म नामक सॉफ्टवेयर के माध्यम से जमीन का ऑनलाइन रिकार्ड दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कराई थी। सिस्टम को अपडेट होकर ऑनलाइन रजिस्ट्री तक पहुंचना था, लेकिन 2007 में सत्ता पलटने के साथ ही भू माफियाओं ने जमीन रिकार्ड व पैमाइश के नए सिस्टम पर ब्रेक लगवा दिए थे। दोबारा सत्ता में आने के बाद कैप्टन ने फिर इस योजना को नई संजीवनी दी है। इस बार ऑनलाइन रजिस्ट्री का सॉफ्टवेयर नेशनल इनफोर्मेशन सेंटर (एनआइसी) ने तैयार किया है।
क्या है नया सिस्टम
पंजाब सरकार की साइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन पर क्लिक करने पर अपनी मालिकी वाली जमीन का खसरा नं.आदि रिकार्ड डालते ही पूरी जमीन का रिकार्ड, डीसी रेट का ऑप्शन सामने आ जाएगा, जितनी जमीन बेचनी है, वह रिकार्ड में दर्ज कर पैमेंट भी ऑनलाइन ही रिसीव कर सकते हैं। पूरा रिकार्ड सही भरने पर एक टोकन क्रिएट होगा, जिस पर तहसील पहुंचने का समय व तिथि दर्ज होगी। तहसील में बायोमैट्रिक वेरीफिकेशन के साथ ही पलक झपकते ही रजिस्ट्री हो जाएगी, डॉक्यूमेंट आपके हाथ में होगा।
अभी क्या हैं खामियां
-जमीनों की रजिस्ट्री के लिए कई-कई चक्कर लगाने पड़ते हैं।
-जमीन की पैमाइश के लिए सुविधा शुल्क देने के बाद भी पटवारियों की मिन्नतें करनी पड़ती हैं।
-रजिस्ट्री के समय प्रति रजिस्ट्री 300 रुपये इंतकाल फीस वसूल ली जाती जाती है, लेकिन इंतकाल सालों तक नहीं होते हैं।
-कॉमर्शियल जमीनों को एग्रीकल्चर लैंड बताकर लाखों, करोड़ों रुपये की स्टाम्प चोरी कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया जाता है।
अब क्या होगा
ऑनलाइन सिस्टम में रजिस्ट्री के साथ ही नए मालिक के नाम इंतकाल हो जाएगा। कॉमर्शियल या आवासी भूमि को कोई एग्रीकल्चर लैंड नहीं दिखा पाएगा। स्टाम्प फीस की चोरी नहीं हो सकेगी।
दुविधा भी
जमीनों का रिकार्ड दर्ज करने की प्रक्रिया 2004 में शुरू हुई थी, लेकिन अभी तक सूबे में 50 प्रतिशत रिकार्ड भी ऑनलाइन दर्ज नहीं हो सका है। जब तक सूबे का पूरा रिकार्ड ऑनलाइन दर्ज नहीं होगा, ऑनलाइन रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी।
नए सिस्टम से काम की गति बढ़ेगी, लोगों का समय व पैसा बचेगा। सरकार को पूरी स्टाम्प फीस मिलेगी, नि:संदेह ये एक क्रांतिकारी कदम है।
-व¨रदर कुमार शर्मा, डीसी
जब तक लैंड रिकार्ड पूरी तरह ऑनलाइन दर्ज नहीं होता है, तब तक सिस्टम लागू नहीं हो सकता है। अभी तक डॉक्यूमेंट राइटर्स को भी कंप्यूटर लगाने के लिए नहीं कहा गया है।
गुलशन सरंगल, वसीका नवीस।