अमृतसर,15 अक्तूबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) : मर्डर, सुसाइड या सस्पेक्टेड डेथ के मामलों में शवों का पोस्टमार्टम करना अनिवार्य है। इससे मृत्यु के वास्तविक कारणों की स्पष्टत: जानकारी मिल जाती है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश भर में स्थापित सिविल अस्पतालों में पोस्टमार्टम केंद्र बनाए गए हैं, जहां स्पेशलिस्ट डॉक्टर शवों का पोस्टमार्टम करके रिपोर्ट तैयार करते हैं। ठीक इसी प्रकार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी पोस्टमार्टम की व्यवस्था बनाई गई है। स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही नियमों में बदलाव करके पोस्टमार्टम की प्रक्रिया फोरेंसिक एक्सपर्ट के हवाले कर दी है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विभाग ने प्रदेश के तीनों सरकारी मेडिकल कॉलेजों के फोरेंसिक एक्सपर्ट को निर्देश जारी कर दिए हैं। यानी कि अब स्पेशलिस्ट डॉक्टर शवों का पोस्टमार्टम नहीं कर पाएंगे। सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर, पटियाला व फरीदकोट के फोरेंसिक एक्सपर्ट सात-सात जिलों में होने वाली अप्रिय घटनाओं में मृत्यु का ग्रास बने लोगों के शवों का पोस्टमार्टम करेंगे। फोरेंसिक एक्सपर्ट का एक विशेष बोर्ड बनाकर यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी। उदाहरण के तौर पर सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर के दायरे में अमृतसर, तरनतारन, पठानकोट, गुरदासपुर, पठानकोट, कपूरथला व जालंधर आदि जिले आएंगे। इन जिलों में मर्डर, सुसाइड या सस्पेक्टेड डेथ के मामले में शवों का पोस्टमार्टम अमृतसर में ही होगा। दो वर्ष पूर्व स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी किया था कि स्पेशलिस्ट डॉक्टर शवों का पोस्टमार्टम करेंगे। विभाग ने स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को बाकायदा पोस्टमार्टम करने की तकनीक समझाने के लिए ट्रे¨नग दिलवाई थीं। दूसरी तरफ अब विभाग का मानना है कि डॉक्टरों द्वारा किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में कुछ खामियां आ रही हैं। लिहाजा शवों की चीरफाड़ व रिपोर्ट तैयार करने का काम फोरेंसिक विभाग के हवाले किया जाए। असल में फोरेंसिक एक्सपर्ट को शरीर के आंतरिक अंगों की पूरी जानकारी होती है। वहीं, स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को चिकित्सा शास्त्र की पढ़ाई के दौरान मृतकों के आंतरिक अंगों की जानकारी दी जाती है। एक प्रकार से पोस्टमार्टम की पूरी प्रक्रिया समझाई जाती है, लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर पोस्टमार्टम की कई बारीकियों से अनभिज्ञ होते हैं। यही वजह है कि कई मर्तबा पोस्टमार्टम रिपोर्ट सटीक नहीं आ पाती। पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक ऐसा माध्यम है जिससे हत्या या आत्महत्या के मामलों की गुत्थी सुलझाई जा सकती है। यह दस्तावेज पुलिस के लिए भी अहम है और अदालतों के लिए भी। यदि इस रिपोर्ट में किसी प्रकार की खामी हो तो केस का फैसला भी प्रभावित हो सकता है। सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. रा¨जदर अरोड़ा कहते हैं कि विभाग का आदेश मिल चुका है। इस पर इम्पलीमेंट किया जा रहा है।
हाईकोर्ट का आदेश लागू करवाने में जुटा सेहत विभाग
पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पोस्टमार्टम का काम फोरेंसिक विशेषज्ञ ही करें। स्वास्थ्य विभाग ने सभी सिविल सर्जनों व सिविल अस्पतालों के एसएमओ को पत्र लिखकर कहा है कि अब स्पेशलिस्ट डॉक्टर सिर्फ सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों अथवा उन शवों का पोस्टमार्टम करेंगे जिनकी मौत की वजह रहस्यमय नहीं है।