चंडीगढ़ ,15 अक्तूबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) इस दिन धन और आरोग्य के लिए मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार दिवाली से दो दिन पूर्व धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। दिवाली सिर्फ एक दिन की नहीं होती है, ये एक पंचदिवसीय त्योहार है। इसकी शुरुआत दो दिन पहले ही शुरु हो जाती है। दिवाली का सबसे पहला दिन होता है धनतेरस का, इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन धन और आरोग्य के लिए मां लक्ष्मी के साथ भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार दिवाली से दो दिन पूर्व धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान वो अपने साथ अमृत कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण से भगवान धन्वंतरि को औषधी का जनक भी कहा जाता है। इस दिन सोना-चांदी आदि की खरीददारी करना शुभ माना जाता है। लोकमान्यता के अनुसार इस दिन के लिए ये भी कहा जाता है कि इस दिन नया सामान खरीदने से धन 13 गुना बढ़ जाता है। धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस दिन सोना और चांदी जैसी धातुओं को खरीदना अच्छा माना जाता है। इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है। इसलिए धनतेरस पर सोना और चांदी खरीदन परंपरा सदियों से चली आ रही है। हालांकि इस मौके पर सिर्फ सोने और चांदी की ही नहीं बल्कि कई अन्य सामान भी लोग खरीदते हैं। कई लोग इस मौके पर बाइक या कार लेना पसंद करते हैं।