चंडीगढ़। कुछ साल पहले हरियाणा के पानीपत में एक बच्चा कूड़े के ढेर पर मिला था। इस दोनों ही पैरों की उंगलियां नहीं थी। इसलिए पूरे भारत में इस बच्चे को गोद लेने के लिए कोई भी आगे नहीं आया। कुछ ही दिन बाद इस बच्चे को अमेरिका के एक परिवार ने गोद ले लिया।
सारी कानूनी प्रक्रिया और कागजी कार्यवाही के बाद दंपत्ति ने बच्चे को नया नाम दिया अनंत, और वह अनंत को अपने साथ अमेरिका ले गए। जहां आज एक अच्छे स्कूल में शिक्षा हासिल कर रहा है और अपने पांव पर खड़ा होने का प्रयास कर रहा है।
ऐसी ही स्थिति यमुनानगर के जगाधरी में मिली एक लडक़ी की है। जिसे माता-पिता ने पैदा होते ही लावारिस हालत में कूड़े के ढेर पर छोड़ दिया। इस बच्ची को स्वीडन के एक परिवार ने अपनाया और आज यह बच्ची पढ़ाई-लिखाई के बाद एक स्कूल में बतौर अध्यापिका सेवाएं दे रही है। इसकी शादी भी हो चुकी है और इसके पास दो जुड़वा बच्चे भी हैं।
हरियाणा में जिन बच्चियों को उनके माता-पिता ने जन्म देने के बाद लावारिस हालत में छोड़ दिया आज वहीं बच्चियां विदेशों में रहते हुए न केवल बेहतर जीवन व्यतीत कर रही हैं बल्कि दूसरे के लिए भी जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने का कारण बन रही हैं।
हरियाणा में लावारिस मिली 133 बेटियों का विदेशी थाम चुके हाथ
यह कहानी है हरियाणा के उन 557 बच्चों की, जिन्हें उनके अपनों ने जन्म के अगले ही पल कूड़े-कचरे के ढेरों पर छोडकऱ लावारिस बना डाला। पर किस्मत ने ऐसी करवट बदली कि इन्हें अपनों से बढकऱ प्यार करने वाले मिल गए। यही वजह है कि शिशु गृह और कारा के सहयोग से 557 लडक़े-लड़कियों में से 398 को भारतीयों और 159 को विदेशियों द्वारा अपनाया जा चुका है। खास बात यह है कि जिन बच्चों को विदेशियों ने एडॉप्ट किया है, उनमें 133 बेटियां शामिल हैं।
भारत के अलग-अलग राज्य से इस तरह लावारिस हालत में मिलने वाले बच्चों को शिशु गृह आसरा देता है। फिर कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) जो केंद्र के अधीन है, के सहयोग से इन बच्चों को गोद दिया जाता है। खासकर ऐसे परिवारों को, जिनके पास कोई औलाद नहीं होती और वह बच्चों की अच्छे से देखभाल करने लायक होते हैं। ऐसे 153 बेटों और 245 बेटियों का भारतीयों ने दामन थामा है जबकि 26 बेटों और 133 बेटियों का विदेशियों ने अपनाया है।
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