चंडीगढ़। पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले एसवाईएल का जिन फिर से बाहर आ गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पड़ोसी राज्य पंजाब की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि पड़ोसी राज्य द्वारा एसवाईएल के मुद्दे को उलझाया जा रहा है। जिस कारण हरियाणा को आजतक उसके हिस्से का पानी नहीं मिल सका है।
दूसरे कार्यकाल के छह सौ दिन पूरे होने के अवसर पर बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा ने एसवाईएल की लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ा और सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला सुनाया। पंजाब इस फैसले को लागू करने से पीछे हट गया। अब केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करवाने के लिए प्रयास कर रही है। पंजाब को जिद्द छोडकऱ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए।
पंजाब ने नहीं सुलझने दिया एसवाईएल का मुद्दा:मनोहर लाल
मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा के सामने जल संकट तेजी से बढ़ रहा है। जिसके चलते उपलब्ध जल का प्रबंधन शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल 94 हजार एकड़ भूमि पर किसानों ने धान की पैदावार नहीं की। इस साल इस लक्ष्य को बढ़ाकर दो लाख हैक्टेयर कर दिया गया है।
सीएम ने कहा कि बाजरे की फसल को इसी श्रेणी में शामिल करने का ऐलान करते हुए कहा इस बार बाजरे की खरीद में सरकार ने करीब सात सौ करोड़ का घाटा झेला है। उन्होंने कहा कि जो किसान बाजरे की खेती छोडकऱ दालों की पैदावार को बढ़ावा देंगे उन्हें चार हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से बोनस दिया जाएगा।
सीएम ने कहा कि जो किसान बाजरे की पैदावार करेगा उसकी खरीद भावांतर-भरपाई योजना के तहत खरीद की जाएगी, ताकि बाजारा खरीद के नाम पर काला बाजारी न हो और राजस्थान के किसान हरियाणा की मंडियों में आकर बाजरा न बेच सकें।