चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को पारंपरिक फसलें त्यागकर वैकल्पिक धंधे अपनाने को लेकर शुरू किए गए अभियान के सार्थक परिणाम आने शुरू हो गए हैं। प्रदेश में दूध की उत्पादकता तथा खप्त दोनों में वृद्धि हो गई है। दूध उत्पादन व खप्त के मामले में हरियाणा ने देश की राष्ट्रीय औसत को पीछे छोड़ दिया है।
हरियाणा सरकार के आर्थिक-सामाजिक सर्वेक्षण के अनुसार पांच साल पहले तक राज्य में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 800 से 900 ग्राम थी, जो अब बढक़र 1142 ग्राम हो गई है। सर्वे के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर एक व्यक्ति को औसत हर रोज 342 ग्राम दूध ही मिल पाता है, लेकिन हरियाणा में यह औसत अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। प्रदेश की पौने तीन करोड़ जनता में हर रोज प्रति व्यक्ति औसतन सवा लीटर दूध उपलब्ध हो पा रहा है।
आर्थिक सामाजिक सर्वे की रिपोर्ट
राष्ट्रीय औसत के मुकाबले हरियाणा में है अधिक उपलब्धता
हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के अनुसार हरियाणा के किसानों ने परंपरागत खेती को कम कर पशुधन संरक्षण और पशुपालन में रुचि दिखानी शुरू कर दी है। प्रदेश सरकार इसके लिए सब्सिडी और सुविधाओं के रूप में प्रोत्साहित भी कर रही है। मत्स्य पालन व बकरी पालन पर सरकार का खास फोकस है। राज्य सरकार ने इस बार के बजट में मत्स्य पालन, बकरी प्रजनन केंद्र और दुग्ध संयंत्र केंद्र स्थापित करने के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया है।
उन्होंने बताया कि परंपरागत फसलों से लोगों को हटाने के लिए सरकार ने पिंजौर में सेब मंडी, गुरुग्राम में फूल मंडी और सोनीपत के सेरसा में मसाला मंडी स्थापित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इस बार सरकार ने बागवानी के लिए 489 करोड़ रुपये, पशुपालन व डेयरी प्रबंधन के लिए 1225 करोड़ रुपये, मत्स्य पालन के लिए 125 करोड़ रुपये और सहकारिता के क्षेत्र में कार्यों के लिए 1274 करोड़ रुपये का रिकार्ड प्रविधान किया है।
उन्होंने बताया कि दक्षिणी हरियाणा में एक नया दुग्ध संयंत्र स्थापित होगा, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को कवर करेगा। इसके अलावा जिला भिवानी के गांव शेरला में एक लघु दुग्ध संयंत्र स्थापित होगा।