चंडीगढ़। हरियाणा के अस्पतालों में काम करने वाले फार्मासिस्ट अब फार्मेसी अधिकारी कहलाएंगे। सरकार ने इनका नाम बदल दिया है। नए नाम को लेकर अधिसूचना जारी होते ही विवाद भी शुरू हो गया है। स्वास्थ्य विभाग ने यह आदेश केवल अपने विभाग के संबंध में जारी किए हैं जबकि ईएएसआई अस्पतालों व औषधालयों को इससे बाहर रखा गया है।
फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा ने सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। हरियाणा सरकारी अस्पतालों में बतौर फार्मासिस्ट काम कर रहे कर्मचारियों के संगठन लंबे समय से सरकार से यह मांग कर रहे थे कि उनका पदनाम बदलकर उन्हें भी अधिकारी का दर्जा प्रदान किया जाए।
स्वास्थ्य विभाग ने कर्मचारियों का बदला पदनाम
ईएसआई व औषधालयों में लागू नहीं होंगे नए आदेश
गठबंधन सरकार में आपसी तालमेल का अभाव:नीरज शर्मा
कर्मचारी संगठनों का तर्क था कि फार्मासिस्ट नाम होने से उनका पद छोटे दर्जे का माना जाता है। कर्मचारी संगठनों की मांग को पूरा करते हुए सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत फार्मासिस्ट के पद नाम को बदलकर फार्मेसी ऑफिसर कर दिया है। सरकार के इस फैसले से नया विवाद शुरू हो गया है। सरकार का यह फैसला स्वास्थ्य विभाग में लागू होगा। जिसे लेकर ईएएसआई अस्पतालों व औषधालयों में काम करने वाले फार्मासिस्ट सरकार से नाराज हो गए हैं। हरियाणा में चल रहे अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी आदि स्वास्थ्य विभाग के अधीन हैं, जबकि ईएएसआई अस्पताल व औषधालयों का नियंत्रण श्रम विभाग के पास है। श्रम विभाग उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला तथा राज्य मंत्री के तौर पर अनूप धानक के पास आता है। ऐसे में एक ही पोस्ट को लेकर विभागीय कर्मचारियों में खींचतान शुरू हो गई है। हरियाणा सरकार के समक्ष यह मुद्दा उठाने वाले फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा के अनुसार यह सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है। एक ही पदनाम से भर्ती होने वाले कर्मचारी एक जैसा काम करने के बावजूद दो नाम से पहचाने जाएंगे। नीरज शर्मा के अनुसार यह सरकार में आपसी तालमेल के अभाव का परिणाम है। जिसका खामियाजा अब प्रदेश के कर्मचारी भुगतेंगे।