चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक अनोखा केस दायर हुआ है। जिसमें गुरुग्राम की एक महिला ने जेल में बंद पति के साथ शरीरिक संबंध बनाने की इजाजत मांगते हुए तर्क दिया है कि सलाखों के पीछे रहने वाले व्यक्ति को वंशवृद्धि से नहीं रोका जा सकता। इस मामले में कार्रवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गृह विभाग हरियाणा से टिप्पणी मांगी है कि क्या जेल की सलाखें एक कैदी को उसके वंश वृद्वि के अधिकार को रोक सकती है। याचिकाकर्ता महिला ने कहा कि उसके पति को गुरुग्राम कोर्ट ने हत्या और अन्य अपराधों का दोषी ठहराया गया था। वह 2018 से वह गुरुग्राम के भोंडसी जिला जेल में बंद है। पत्नी ने अपनी याचिका में कहा कि उसे संतान की चाहत है और वह अपने पति से संबंध बनाना चाहती है।
हाइकोर्ट पहुंची गुरुग्राम की महिला
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगी टिप्पणी
पुराने फैसले को आधार बनाकर दायर की याचिका
याची महिला के वकील ने कहा कि मानवाधिकारों के तहत उसे वंश वृद्वि का अधिकार है। याची की तरफ से दलील दी गई कि क्या संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसे जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है। कोर्ट को बताया गया कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने जसवीर सिंह बनाम पंजाब राज्य के एक केस का निपटारा करते हुए सरकार को कैदियों को वंश वृद्वि के पत्नी से संबंध बनाने पर सरकार को नीति बनाने को कहा था। सभी दलील सुनने के बाद जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने हरियाणा के एडीशनल एडवोकेट जरनल से पूछा कि क्या राज्य सरकार ने जसवीर सिंह केस में हाई कोर्ट के आदेश पर इस तरह की कोई नीति बनाई है। कोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को इस बाबत विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।