चंडीगढ़। हरियाणा में पहली बार ब्लाक समिति सदस्यों के चुनाव ईवीएम से करवाए जाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। राज्य चुनाव आयोग ने केंद्र से 75 हजार ईवीएम की मांग की है। अगर केंद्र द्वारा यह मांग पूरी कर दी जाती है तो हरियाणा में पहली बार ब्लाक समिति सदस्यों के चुनाव ईवीएम के माध्यम से होंगे।
चुनाव आयोग द्वारा वर्ष 2016 में हुए चुनाव के दौरान पंचकूला व रेवाड़ी में ट्रायल लिया जा चुका है। यह ट्रायल सफल होने के बाद चुनाव आयोग द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजी गई है। इस रिपोर्ट में दिए गए तर्क के आधार पर हरियाणा के लिए ईवीएम मांगी गई हैं। प्रदेश में ब्लॉक समिति व पंच पद के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला बैल्ट पेपर की मोहर से होता है। मगर इस बार ब्लॉक समिति के उम्मीदवारों के भाग्य पर बैल्ट पेपर की मोहर नहीं बल्कि ईवीएम का बटन दब सकता है।
प्रदेश में 142 ब्लॉक समितियां हैं, जिनके तीन हजार से ज्यादा वार्ड हैं। वर्ष 2016 के चुनाव में 16 हजार 363 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन भरा था, जिसमें से 15 फीसद 2460 नामांकनों में खामियां पाए जाने के चलते रिजेक्ट कर दिए गए थे और 15 फीसद के करीब ही 2554 उम्मीदवारों ने अपना पर्चा वापस ले लिया था। चुनावी मैदान में 11 हजार 349 उम्मीदवार उतरे थे, जिसमें से तीन हजार ने जीत दर्ज की। लिहाजा इस स्थिति को देखते हुए राज्य चुनाव आयोग की ओर से इवीएम का प्रस्ताव राजय चुनाव आयोग को भेजा है। राज्य चुनाव आयोग ने इस बार बैल्ट पेपर के झंझट को खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी हैं। योजना सिरे चढ़ी तो प्रदेश में केवल पंचायत सदस्यों के चुनाव ही बैल्ट पेपर के जरिये होंगे।
रेवाड़ी व पंचकूला में सफल हो चुका है ट्रायल
ब्लाक समिति सदस्यों तथा पंचायत सदस्यों के चुनाव अब से पहले बैलट पेपर पर हो रहे थे। मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार पर मोहर लगाता है। मगर बैल्ट पेपर पर मोहर लगाते समय ज्यादातर वोट खराब भी हो जाती हैं। जिन्हें रिजेक्ट किया जाता है। इससे चुनाव के समीकरण पूरी तरह बदल जाते हैं। यही नहीं बैल्ट पेपर की गिनती पर भी सवाल उठते रहे हैं और दोबारा गिनती करने में समय की बर्बादी होती है। बैल्ट पेपर को प्रिंट करवाने का खर्चा भी ज्यादा है। यह चुनाव आयोजन के खर्चे को बढ़ाता है। इन तमाम पहलुओं को देखते हुए राज्य चुनाव आयोग की ओर से ईवीएम का प्रस्ताव भेजा गया है।