गुरुग्राम: पर्यावरण, इंसानों और बेजुबानों की सेवा को समर्पित है अजय का जीवन
-कई वर्षों से निरतंर सेवा में लगे हैं अजय शर्मा
-संस्था बनाकर आम और खास का सम्मान, जनहित के काम है ध्येय
-ब्राह्मण वेलफेयर एसोसिएशन गुरुग्राम संस्था के हैं संस्थापक
गुरुग्राम। जीना तो है उसी का जिसने ये राज जाना...है काम आदमी का औरों के काम आना...। मोहम्मद रफी की आवाज में वर्ष 1971 में बनी फिल्म अधिकार के इस गीत का अपने जीवन में आत्मसात करके चल रहे हैं अजय शर्मा। गुरुग्राम में समाजसेवा के क्षेत्र में 5 फुट 5 इंच के इस शख्स का नाम और कद बहुत बड़ा है। चाहे आम हो या खास व्यक्ति, हर किसी को सम्मान देना और दूसरों को सम्मान दिलवाना अजय शर्मा की नीयति है। खास बात यह है कि अजय शर्मा किसी प्रलोभन के वश होकर नहीं, बल्कि आत्मसंतुष्टि के लिए समाजसेवा करते हैं।
पिछले कई वर्षों से अजय शर्मा समाजसेवा के क्षेत्र में कार्यरत हैं। जीवन में अनेक उतार-चढ़ावों के बाद भी उन्होंने कभी हार मानकर समाजसेवा के क्षेत्र को नहीं छोड़ा। गुरुग्राम जिले के खंड पटौदी के जाटौली-हेलीमंडी क्षेत्र के वे मूल निवासी हैं, लेकिन काम के सिलसिले में उन्हें वह क्षेत्र छोड़कर गुरुग्राम में रहते हैं। हालांकि उनकी और उनके परिवार की जड़ें अभी भी वहीं से जुड़ी हैं। अपने क्षेत्र में बाबा हरदेवा के पावन आशीर्वाद को लेकर वे सदा चलते हैं। उन्होंने लगभग हर क्षेत्र के व्यक्ति को अपनी संस्था ब्राह्मण वेलफेयर एसोसिएशन गुरुग्राम (पंजीकृत) के माध्यम से सम्मान देने का काम किया है। समाजसेवा, पर्यावरण बचाने की मुहिम, स्वच्छता अभियान, गौशाला में चारा की व्यवस्था, गर्मियों में पीने के पानी की मुहिम, पक्षियों के लिए दाना-पानी रखवाना, गली-मोहल्ले में सफाई करवाना, दीन-दुखियों की सेवा समेत तमाम काम तो नियमित रूप से इनके एजेंडे में रहते ही हैं।
लॉकडाउन में किए गए काम रहे अनुकरणीय
लॉकडाउन के दौरान उनके अनुकरणीय काम रहे। लॉकडाउन में वंचित लोगों तक खाना, राशन, दवाइयां, जूते-चप्पलें, सेनिटाइजर, मास्क आवंटन आदि का काम उन्होंने नियमित रूप से किया। अपने पास से और अन्य संस्थाओं, समाजसेवियों के साथ मिलकर उन्होंने कोरोना महामारी के बीच लगातार सक्रियता दिखाते हुए लोगों तक सहायता पहुंचाई। इसके साथ ही घरों में सेनिटाइजर का छिड़काव उन्होंने निरंतर करवाया। इसके साथ ही समय-समय पर कोरोना वॉरियर्स का भी सम्मान उन्होंने विधायक व अन्य अग्रणी लोगों के हाथों करवाया। चाहे मेडिकल स्टाफ हो या फिर पुलिस, चाहे सफाईकर्मी हों या फिर अन्य समाजसेवी लोग, सभी को कोरोना वॉरियर के रूप में अजय शर्मा ने सम्मान देने का काम किया।
दूसरी संस्थाओं, समाजसेवियों का करते हैं सम्मान
समाज में अग्रणी रहने वाली अन्य संस्थाओं, समाजसेवियों को अपनी संस्था के माध्यम से वे समारोह आयोजित करके भी सम्मान देते हैं। उन्हें किसी भी तरह का संस्थाओं के साथ कंपीटिशन की भावना नहीं रहती, बल्कि वे उन्हें सम्मान देकर हौंसला ही बढ़ाते हैं। सबसे अहम बात यह है कि वे खुद किसी भी काम का श्रेय नहीं लेते। मतलब कि चाहे वे किसी भी क्षेत्र में समाजसेवा का काम करें, वे इसका श्रेय सबको देते हैं। सबके साथ से उस कार्य को सम्पूर्ण होने की बात कहते हैं। उनका यही स्वभाव ही उनको औरों से अलग करता है।
मुझे सेवा में ही आनंद आता है...
अजय शर्मा इतना उत्साह, इतनी सकारात्मक सोच और सेवा भावना कहां से लाते हैं। इसके जवाब में वे कहते हैं कि अपने पूर्वजों के समाजसेवा के दिखाए रास्ते पर ही वे चलना चाहते हैं। बिना किसी के साथ द्वेष रखे वे इस क्षेत्र में काम करते हैं। वे कहते हैं कि बड़ों के आशीर्वाद से ही यह सब कर पाते हैं। एक तरह से उन्हें सेवा में ही आनंद आता है। इसी आनंद के लिए वे काम करते हैं।