-गुरुग्राम के गांव पातली-हाजीपुर के रहने वाले थे रामबीर सिंह बागोरिया
गुरुग्राम। जिला के गांव पातली-हाजीपुर निवासी पूर्व आबकारी एवं कराधान अधिकारी (इंस्पेक्टर) रामबीर सिंह बागोरिया (66) का सोमवार को निधन हो गया। वे कई दिनों से बीमार चल रहे थे।उन्होंने अपने फरीदाबाद निवास पर अंतिम सांस ली। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन पर क्षेत्र के सामाजिक, धार्मिक प्रतिनिधियों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
पातली गांव के श्री धनराज सिंह नम्बरदार के 7 पुत्र व दो पुत्रियां हैं। जिनमें से रामबीर सिंह सबसे बड़े थे। वे आबकारी एवं कराधान विभाग (एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट) से निरीक्षक (इंस्पेक्टर) के पद से सेवानिवृत थे। पुत्र रोहताश एस्कोर्ट कंपनी से सेवानिवृत हैं। पुत्र तेजपाल सिंह गुरुग्राम की नामी कंपनी में वरिष्ठ अधिवक्ता, पुत्र चांदकिशोर मीडिया से जुड़े हैं। पुत्र डा. नरेंद्र जिला नागरिक अस्पताल फरीदाबाद में डिप्टी सिविल सर्जन, एक पुत्र हरिकिशन कंपनी में कार्यरत हैं।
वहीं सबसे छोटे पुत्र देवेंद्र गुरुग्राम में ही एक कंपनी में एचआर विभाग में कार्यरत हैं। इसके अलावा पौते, पौतियों से भरा-पूरा परिवार है। सोमवार दोपहर बाद उन्होंने फरीदाबाद में अपने निवास पर अंतिम सांस ली।
समाज को जोड़कर रखते थे रामबीर बागोरिया
सेवानिवृति के बाद रामबीर सिंह बागोरिया पूरी तरह से समाज को समर्पित थे। यह सब उन्हें अपने पिता से विरासत में मिला था। क्योंकि उनके पिता धनराज सिंह नम्बरदार आज भी समाज और परिवारों को एकजुट होकर रहने के पक्षधर हैं और यही प्रयास भी करते हैं। रामबीर सिंह बागोरिया प्रजापति वैवाहिक पत्रिका में सचिव और अखिल भारतीय प्रजापति समाज के मुख्य सचिव भी रहे।
रामबीर सिंह बागोरिया ने ना केवल प्रजापति समाज, बल्कि सर्व समाज को जोड़कर रखने का सदा प्रयास किया। इसके लिए वे निरंतर कार्य करते रहते थे। बेटे-बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाकर उन्हें कामयाब इंसान बनाने को वे हर किसी की काउंसलिंग करते थे, सलाह देते थे। बेहद ही शील स्वभाव के रामबीर सिंह बागोरिया ने सदा परिवार को भी एक सूत्र में पिरोकर रखा। आज के दौर में जहां घर-घर में किसी न किसी बात पर कलह देखी जा सकती है, वहीं रामबीर सिंह बागोरिया ने अपने माता-पिता की मौजूदगी में पूरे परिवार में एकता बनाए रखी।
चाहे परिवार का कोई सदस्य कहीं पर रहे, लेकिन परिवार में किसी तरह की बिखराव कभी नहीं आने दिया। श्री धनराज सिंह नम्बरदार की चार पीढिय़ों में 100 से भी अधिक सदस्य हैं। इलाके में सफलता और एकजुटता का यह परिवार जीता-जागता उदाहरण है।