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Haryana

झज्जर: बेटी के कुआं पूजन पर किया पूरे गांव का भंडारा

Sanjay Mehra | December 05, 2020 04:13 PM

बेटी के कुआं पूजन पर किया पूरे गांव का भंडारा


-झज्जर जिला के आजादनगर गांव में हुआ आयोजन
-देर रात तक मनाया गया बेटी के कुआं पूजन का जश्न
-लॉकडाउन के चलते पहले नहीं कर पाए थे यह आयोजन
-एक साल की बेटी होने पर कुआं पूजन व जन्मदिन एक साथ मनाया

Sanjay Mehra

झज्जर/गुरुग्राम। कहावत है कि किसी छोटी रेखा को अगर बड़ी करना है तो उसके सम एक बड़ी रेखा खींच देनी चाहिए। ऐसा ही सकारात्मक काम आज बेटियों को बचाने, उन्हें सम्मान देने के लिए हो रहा है। एक तरफ तो बेटियों को पैदा होते ही लावारिस छोड़ देने वाले लोग हैं, वहीं दूसरी तरफ बेटियों के जन्म पर नाज करने वालों की संख्या भी बहुत है। हरियाणा बेटी के जन्म पर भी कुआं पूजन की नई परम्परा शुरू हो चुकी है।

 

 

झज्जर जिला के आजादनगर गांव निवासी साधूराम के सुपुत्र राकेश अहलावत एवं पुत्रवधू किरन के यहां बेटी ने जन्म लिया। बेटी का जन्म तो एक साल पहले हुआ था। लेकिन उस समय कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लग गया और उसके कुआं पूजन नहीं हो पाया। अब उनकी बेटी समायरा एक साल की हुई तो परिवार की ओर से पहला जन्मदिन मनाने के साथ-साथ कुआं पूजन का भी निर्णय लिया गया। हिसार स्थित दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के विद्युत सदन (विद्युत नगर) से सेवानिवृत साधूराम अहलावत का पैतृक गांव आजादनगर (झज्जर) है। इसलिए उन्होंने अपने गांव में आकर ही इस परम्परा का निर्वहन करके ग्रामीणों को भी एक सकारात्मक संदेश देने की पहल की। वर्षों से बंद पड़े पुराने मकान की साफ-सफाई करके परिवार ने सदा गांव की जड़ों से जुड़े रहने का इस कार्यक्रम के माध्यम से संदेश भी दिया।

 

सुबह गांव में बाबा जोहड़ वाले के मंदिर पर पूजा-अर्चना के बाद गांव की चौपाल में भंडारा किया गया। सुबह से शाम तक चले भंडारे में ग्रामीणों, रिश्तेदारों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद शाम के समय धूमधाम से कुआं पूजन किया गया। कुंआ पूजन के बाद बेटी समायरा के एक साल की होने पर केक भी काटा गया। अहलावत परिवार के इस कदम की सभी ने सराहना की। बेटी के जन्म पर कुआं पूजन में पूरे गांव के लिए भंडारा करके उन्होंने बेटियों का सम्मान करने का संदेश ग्रामीणों ही नहीं, बल्कि प्रदेश व देश के लोगों को दिया है।


समायरा के दादा साधूराम कहते हैं कि समाज के लोग ही समाज को अच्छी शिक्षा दे सकते हैं। यह ज्ञान किताबों में नहीं मिल सकता। यह सामाजिक ज्ञान है और समाज से ही मिल सकता है। आज हम इस तरह से बेटियों का सम्मान करके अपनी आगे की पीढिय़ों को यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि बेटियों को बोझ ना समझें। बेटियों को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें आगे बढ़ाएं। वे नाम रोशन करेंगी।

 

 

 
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