sanjay kumar
गुरुग्राम। समाजसेवी रामकिशन माचीवाल ने अपने जीवन काल में समाजसेवा को ही सदा प्रमुख रखा। अपने समाज के साथ अन्य समाज के लोगों के सहयोग के लिए भी वे सदैव तत्पर रहे। बीती 21 जुलाई 2020 को उनका 86 साल की उम्र में देहांत हो गया।
यहां जैकमपुरा स्थित श्रीकृष्ण मंदिर के सामने अपने निवास स्थान पर ही उन्होंने अंतिम सांस ली। रामकिशन माचीवाल ने खुद जिस तरह से समाजसेवा करते हुए समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई, उसी तरह से उन्होंने अपनी संतान को भी शिक्षा दी। उनके चार पुत्र सतीश माचीवाल, सुरेश माचीवाल, नरेश माचीवाल, सुरेंद्र (बिट्टू) माचीवाल और दो पुत्रियां रश्मि व प्रवीण कुमारी हैं। छह पुत्र-पुत्रियों के अलावा 7 पौत्र के अलावा भरा-पूरा परिवार वे छोड़कर गए हैं।
बड़े पुत्र सतीश माचीवाल शहर की श्रीदुर्गा रामलीला कमेटी जैकमपुरा में कार्यकारिणी के सदस्य हैं। वहीं कई अन्य धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं का भी वे हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय रामकिशन माचीवाल ने समाज के लिए प्रजापति धर्मशाला के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
सतीश माचीवाल का कहना है कि अपने पिता के नक्शे कदम पर वे खुद चले और अपनी संतान को भी यही शिक्षा देते हैं कि खुद की आजिविका के लिए तो हमें प्रयत्न करना ही चाहिए, साथ में समाज के लिए भी हमें ऐसा कार्य करना चाहिए, जो कि सदा याद किया जाए। अपनी भावी पीढ़ी को शिक्षा और संस्कार देकर अच्छे और सच्चे इंसान बनाना ही उनका ध्येय है। क्योंकि आज नई पीढ़ी में कहीं न कहीं संस्कारों की कमी नजर आती है। संस्कारों का समावेश करना माता-पिता की ही कर्तव्य है और वे इसे बखूबी निभा भी रहे हैं।