चंडीगढ़। पंजाब मंत्रीमंडल ने आज पिड़ाई सीजन वर्ष 2015-16 के लिए निजी चीनी मिलों द्वारा गन्ना उत्पादकों को अदा किए गए 223.75 करोड़ रुपए वसूलने के लिए हरी झंडी दे दी है। यह फ़ैसला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता अधीन हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग के दौरान लिया गया।
पिड़ाई वर्ष 2014-15 के दौरान चीनी मिलों को नगद भुगतान करने के लिए पेश आ रही समस्याओं के कारण पिड़ाई देरी से शुरू होने और मंडी में भी चीनी की कीमतों में भारी मंदी आई हुई थी, जिसके कारण गन्ना उत्पादकों को अदायगी करने में देरी हो रही थी। चीनी मिलों द्वारा राज्य सरकार को उत्पादकों की अदायगी करने का कदम उठाना पड़ा।
इस रकम की वसूली का फ़ैसला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों की पालना में 13 नवंबर, 2017 को मुख्य सचिव के नेतृत्व में कायम की गई उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों के मद्देनजऱ लिया गया। इस कमेटी के अन्य सदस्यों में अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास), वित्त कमिशनर (सहकारिता) और प्रमुख सचिव वित्त भी शामिल थे।
इस कमेटी ने निजी चीनी मिलों के नुमायंदों के पक्ष सुनने के बाद यह देखा गया कि किसानों को संकट में से निकालने की कोशिश के तौर पर 50 रुपए प्रति क्विंटल का अस्थाई समर्थन दिया गया था। कमेटी ने 11 अप्रैल, 2018 को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि यह समर्थन पिछले बुनियादी सिद्धांत बाज़ार में चीनी की कम कीमतें थीं, एक बार औसतन कीमत प्रति क्विंटल 3000 रुपए से ज्य़ादा हो गई, तो मिलों से पहली रकम वसूलने का ठोस कारण बनता है।