चंडीगढ़। हरियाणा में लंबे समय से खुले में पड़ा अनाज खराब होने को लेकर छिड़े विवाद का अब अंत हो सकता है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हाई पावर परचेज़ कमेटी की बैठक में खुले में पड़े अनाज को बचाने के लिए 17 करोड़ रुपए की लागत से तिरपालें खरीदने का फैसला लिया गया है। इनमें 14 करोड़ कीमत के 15 हजार 500 ब्लैक पॉलीथीन कवर और करीब साढ़े 3 करोड़ रुपये कीमत के 5900 मल्टी लेयर क्रॉस लेमिनेटिड कवर शामिल हैं।
17 करोड़ से खरीद जाएगी तिरपालें
हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में लिया फैसला
खुले आसमान तले बड़े अनाज को बचाने की कवायद
आमतौर पर फसलों की खरीद से एक महीना पहले तैयारियां होती थी। इसी वजह से फसलों के खराब होने व बारिश आदि में भीगने की शिकायतें भी अधिक रहती थी। इतना ही नहीं, पहली अक्तूबर से शुरू होने वाली धान खरीद को लेकर भी आढ़तियों को हिदायतें दी गई हैं। उन्हें दो-टूक कहा गया है कि वे तिरपाल आदि का प्रबंध करें। जमीन पर फसल को नहीं डालने दिया जाएगा। 20-20 क्विंटल को कवर करने वाले तिरपाल या पॉलीथीन आढ़तियों को लेने होंगे।
दरअसल, मार्केट में कुछ ऐसे कवर भी आ चुके हैं, जो बारिश आदि होने पर नीचे और ऊपर दोनों साइड से फसल को कवर करते हैं। सरकार इसके लिए आढ़तियों को बाकायदा पैसा भी देती है। विभाग ने योजना तैयार कर ली है। अबकी बार 65 लाख टन धान खरीद के समय में इसे लागू कर दिया जाएगा। योजना के तहत गेहूं, बाजरा,ज्वार व कपास आदि को भी इन तिरपाल में ढका जा सकेगा।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में खाद्य आपूर्ति विभाग ने खुले में पड़े अनाज के खराब होने का मुद्दा उठाते हुए तिरपालों की खरीद का सुझाव दिया था। वित्त मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस प्रस्ताव पर मोहर लगा दी है। खाद्य आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने कहा कि ब्लैक व मल्टी लेवर क्रास लेमिनेटिड कवर लगभग 32 फुट लम्बे, 21 फुट चौड़े तो 16 फुट ऊंचे होंगे। दास ने कहा कि आगामी गेहूं खरीद सीजन को ध्यान में रखते हुए एडवांस तैयारियां की गई हैं।
दास ने कहा कि प्रदेश की सभी 400 अनाज मंडियों में इसे लागू किया जाएगा। खरीद क्योंकि पहली अक्टूबर से शुरू होगी। ऐसे में विभाग के पास पर्याप्त समय है। प्रदेश में करीब 15 लाख हैक्टेयर में किसान धान उगाते हैं। हरियाणा में आठ लाख हैक्टेयर से अधिक एरिया में बासमती और शेष में मोटे धान की खेती की जाती है। मोटे धान की खरीद राज्य सरकार करेगी। अधिकारियों का कहना है कि जब धान या गेहूं बरसात में नहीं भीगेगा, तो इसकी गुणवत्ता पूरी तरह से बरकरार रहेगी।