चंडीगढ़। हरियाणा में बरोदा विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गर्माने लगा है। बरोदा के चुनावी रण में किसी पार्टी की तरफ से कौन उतरेगा यह तो अभी तय नहीं है अलबत्ता कांग्रेस ने अभी से अपना गढ़ बचाने की कवायद शुरू कर दी है तो वहीं सत्तारूढ़ जननायक जनता पार्टी के युवा नेताओं के दौरे ने विपक्षियों के धडक़नें तेज कर दी हैं।
श्रीकृष्ण हुड्डा की मृत्यु के बाद खाली हुई है बरोदा सीट
अक्तूबर से पहले होगा उपचुनाव
बरोदा विधानसभा की यह सीट निवर्तमान कांग्रेसी विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन के बाद खाली हुई है। छह बार विधायक रहे श्रीकृष्ण हुड्डा ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर दत्त को हराया था।
श्रीकृष्ण हुड्डा का लंबी बीमारी के बाद 12 अप्रैल को निधन हो गया था। संविधान के अनुसार कोई भी सीट जनप्रतिनिधि के बगैर छह माह से अधिक समय तक खाली नहीं रह सकती है। ऐसे में अक्तूबर माह से पहले-पहले बरोदा में चुनाव होना तय है। जिसके चलते लॉकडाउन खुलते ही बरोदा में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। पिछले चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा, जजपा, इनेलो व बसपा के प्रत्याशी मुख्य रूप से चुनाव मैदान में थे। भाजपा ने यहां से विश्व प्रसिद्ध पहलवान योगेश्वर दत्त को चुनाव मैदान में उतारा था। कांग्रेस ने उनके मुकाबले अपनी पारंपरिक सीट से पुराने प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा पर ही दांव लगाया था। इसके अलावा जजपा प्रत्याशी भूपेंद्र ने टक्कर देते हुए तीसरा स्थान हासिल किया था। इनेलो व बसपा समेत अन्य कई प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी।
अब राजनीतिक दृश्य बदला हुआ है। भाजपा और जजपा गठबंधन में सरकार चला रहे हैं। ऐसे में यह सीट किसके पास जाती है अभी तक तय नहीं है।
इसके बावजूद जजपा के युवा नेता दिग्विजय चौटाला ने बरोदा हलके में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। पिछले दिनों वह कई कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं। कांग्रेस की तरफ से यह तय माना जा रहा है कि पार्टी श्रीकृष्ण हुड्डा के परिवार के सदस्य को ही उतारेगी। ऐसे में राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी बरोदा में अपना गढ़ बचाने के लिए अभी से सक्रियता बढ़ा दी है। इनेलो भी अपनी साख बचाने के लिए बरोदा के रण में उतरेगी। आमतौर पर बसपा उपचुनाव से दूर रही है। ऐसे में इस बार बसपा के चुनाव लडऩे पर अभी स्थिति साफ नहीं है। हरियाणा सरकार की सिफारिश पर चुनाव आयोग द्वारा अभी तक रिक्त सीट की अधिसूचना जारी नहीं की गई है लेकिन राजनीतिक दलों की सक्रियता ने माहौल पूरा गरम कर दिया है।
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श्रीकृष्ण हुड्डा ने सरपंच से की थी राजनीति की शुरूआत
श्रीकृष्ण हुड्डा अपने गांव खिड़वाली में दो बार सरपंच रहे थे। उसके बाद 1987 में पहली बार लोकदल की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते। इसके बाद 1996 में समता पार्टी से चुनाव जीता। 2005 में कांग्रेस ज्वाइन कर ली और किलोई सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा गए। कुछ समय बाद उन्होंने यह सीट हुड्डा के लिए छोड़ दी और इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 2009 के चुनाव में वे सोनीपत जिले की बरोदा सीट पर चुनाव लड़े और जीते। यहां से वह 2014 और 2019 में भी चुनाव जीते थे।
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वर्ष 2019 के चुनाव में किसको मिले कितने वोट
राजनीति दल प्रत्याशी मिले वोट
कांग्रेस श्रीकृष्ण हुड्डा 42566
भाजपा योगेश्वर दत्त 37726
जजपा भूपिंदर 32480
बसपा नरेश 03281
इनेलो जोगिंदर 03145