मोहाली। कहा जाता है हर लडक़ी का मां से मुकाबले ज्यादा पिता से लगाव होता है। पिता के प्रतोसाहन से पंजाब में आज अपना एक मौकाम हासिल कर चुकी प्रीति पाठक अपनी हर कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती है।
मोहाली में दीनदयाल अन्तोदय योजना-एनयूआईएम की सिटी मिशन मैनेजर के रूप में काम कर रही हैं। प्रति पाठक बताती हैं कि वे अपने पिता से पहली राय लेती हैं जब कभी भी परेशान होती हुं तो पिता हमेशा एक मजबूत सत्भं की तरहां मेरे साथ खड़े रहते हैं। कहने को मैं घर की बड़ी बेटी हुं पर आज भी हर परेशानी के बारे मां से ज्यादा पिता से खूलकर बात करती हुं। मूलरूप से तरनतारन के पटटी निवासी प्रीति बताती हैं वह अपने परिवार में पहली लडक़ी थी जिन्होंने सब रिश्तेदारों के खिलाफ जाकर तरनतारन के छोटे शहर से अमृतसर जैसे बड़े शहर मेें पिता के सहयोग से पढऩा शुरू किया। तलवारबाजी जैसी गेम जो 15-20 साल पहलें ही नेशनल लेवल खेली जाने लगी थी। इसी की बदोलत अमृतसर के टॉप कॉलज में दाखिल हुआ। पिता को जब मालूम हुआ कि उनकी बेटी को अमृतसर के मंहगे कॉलज स्कॉलरशिप मिली है जिसमें रहने सहने से लेकर सब कुछ मुफ्त था। स्कॉलरशिप बारे पता चला तो उनकी आखों में आए आसूओं ने मुझे और मेहनत करने के लिए उकसाया। प्रीति ने अमृतसर के टॉप कॉलज मेें 600 रूपऐ में अपनी ट्रेवल एंड टूरिजम में ग्रजूऐशन की। उन्होंने हर वो मुकाम हासिल किया है जिसकी उन्होंने स्कुल और कॉलज के समय कामना की थी।
आज भी मुझे याद है कॉलज में हमें इडिंयन डांस फोम को युके जैसे देश में रिप्रिजेंट करने का मौका मिला और मैंने पैसों के खर्च के कारण स्कुल को मना कर दिया, जब पापा को इसके बारे बताया तो उन्होंने मुझें हैरान होते कहा था बेटा आपको किसने कहा आप नहीं जा सकती आप जाऐंगी और जीत कर आओगी उस दिन मुझे याद है पापा ने रात के नौ बजे टीचर को फोन करवाया और डांस में पार्ट लेने को कहा उस दिन से मैंने हर वो सपना पुरा किया जिसकी मुझे चाह हुई।
स्कुल की हैड़ गर्ल से लेकर, नासिक में हो रहे नेशनल तलवारबाजी में पार्टिसिपेशन, या कॉलज में पढ़ते हुए इडिंया को यूके जैसे देश में रिप्रिजेंट करना हो। इन सभी कामयाबियों का सेहरा मेरा पिता को जाता है। आज मुझे पापा की पुरानी बातें याद करते हुए बहुत खूशी हो रही है। बीएड, एम ए, पीजीडीसीए जैसी पढाई और 4 साल तक स्टडी स्ंटेर एकेले चलने में पिता ही मेरे साथ रहे। प्रीति ने बताया की हर लडक़ी चाहती है कि उसे भी उसके पिता जैसा ही पति मिले और मेरे पापा ने ऐसे ही जीवन साथी से मेरी शादी करवाई और आज मै बहुत खूश हुं।
पुष्पिंदर ने स्टाफ नर्स बनकर ट्रक चालक पिता का सपना किया साकार
पंजाब की जालधंर निवासी पुष्पिंदर कौर आज मोहाली के सरकारी अस्पताल में इंमरजेंसी इंचार्ज है। उन्होंने फादर डे पर बताया कि पिता एक ट्रक डाइवर थे तो हमेश परिवार से दूर रहते थे पर जब भी घर लौटते तो दोनो बहन-भाई को यही कहते, बेटा मैं आप लोगो के लिए ही इतनी दूर मेहनत करता हुं तो आप अपनी पढाई सें मेरा नाम रोशन करना ताकि परिवार से सालों दूर रह कर जो मेहनत मैं कर रहा हुं उसका परिणाम निकल सके। आज मैं सरकारी नौकरी में हुं और भाई जर्मनी जैसे देश मेें परिवार के साथ रहता है आज जब कोरोना जैसी बिमारी हर तरफ फैली हुई है वहीं पिता को एक ही कॉल पर जालंधर से मोहाली आ जाते है।
जब से कोरोना वायरस चला है तब से पिता मेरा खाने पीने से लेकर मेरे घर सभांलने तक सब में मेरा साथ देते हैं।
प्रस्तुति
नगमा सिंह।