वॉशिंगटन। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय सेना के जवानों के साथ आमने-सामने की लड़ाई में उलझकर "भारतीय राष्ट्रवादी बाघ" को उकसाया दिया है। 15 जून काे देर शाम और रात को हुई हिंसक झड़प चीनी सैनिकों द्वारा तनाव को कम करने के दौरान प्रयास का नतीजा थी। वॉशिंगटन एग्जामिनर में एक ओपिनियन पीस में जर्नलिस्ट टॉम रोगन ने लिखा है, "चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने सोमवार शाम 20 भारतीय सैनिकों को हत्या कर भारतीय सेना को भड़का दिया है।
रोगन ने इस मसले पर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शक्ति राष्ट्रवाद के आधार से बहती है। मोदी ने अपनी कुशलतापूर्व घरेलू सांप्रदायिक हितों के जुनून से दूर कर भारतीय राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ाया और इसे वह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में भारत को बढ़ाने के विचार की ओर ले गए हैं। रोगन का विचार है कि पीएम मोदी को पीएलए के साथ हालिया हिंसक संघर्ष के साथ एक अलग चुनौती का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने लिखा कि वह (पीएम मोदी) अपनी भारतीय जनता पार्टी में जबरदस्ती दी गई धारणाओं का जवाब देने के लिए विशेष रूप से दबाव महसूस करेंगे, जैसा कि उन्होंने पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा फरवरी 2019 के हमले के बाद समय पर कार्रवाई की थी। आगे बढ़कर चनौतियां लेना, यह पहली बार नहीं है, जब भारतीय हितों के खिलाफ चीनी विद्रोह हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में, PLA नियंत्रण रेखा के साथ तेजी से आक्रामक हो रहा है। अक्सर भारतीय सीमा की तरफ भारतीय गश्त का सामना कर रहा है।
रोगन ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद के मामले में अमेरिका को भारत के साथ खड़े होना चाहिए
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी पीएलए को आक्रामक अधिकारियों को अधिक कूटनीतिक भारतीय सैन्य कमांडरों के साथ जुड़ने की अनुमति दी है। यह चीन की अब स्पष्ट रूप से साम्राज्यवादी विदेश नीति की रणनीति से सीधे बाहर है और भारत को बीजिंग के पक्ष में समझौता करने के लिए डराने के लिए बनाया गया है।
रोगन ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद के मामले में अमेरिका को भारत के साथ खड़े होना चाहिए। उन्होंने लिखा कि दुनिया का सबसे अधिक लोकतांत्रिक राष्ट्र उसी चीनी आक्रमण का सामना कर रहा है भारत के साथ-साथ वियतनाम, मलेशिया और फिलीपींस को दक्षिण चीन सागर में लगभग हर दिन चीन का प्रकोप अनुभव कर रहें हैं।