चीनी सेना के साथ सोमवार रात हुई झड़प में शहीद होने वाले भारतीय सेना के जवानों में तेलंगाना के संतोष बाबू भी शामिल हैं। Santosh Babu की हैदराबाद में पोस्टिंग के आदेश तीन महीने पहले ही आ गए थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे लद्दाख बॉर्डर से निकल नहीं सके। ईधर, तेलंगाना के सूर्यापेट में बूढे माता-पिता इंतजार कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि अब लॉकडाउन खुल गया है तो बेटा, बहू, पोता और पोती किसी भी दिन घर आ सकते हैं, लेकिन आ गई बेटे की शहादत की खबर। मां को अपने बेटे पर गर्व है, लेकिन इस बात का दुख भी है कि अब उन्हें अम्मा कहकर कौन पुकारेगा। Santosh Babu अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। कर्नल Santosh Babu 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे और डेढ़ साल से भारत चीन सीमा पर तैनात थे।
शहीद कर्नल Santosh Babu की मां मंजुला का कहना है कि मुझे बेटे पर गर्व है जिसने मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान दिया, लेकिन मैं भी मां हूं। मैं आज दुखी हूं। वह मेरा इकलौता बेटा था। मुझे दोपहर में इस बारे में पता चला जबकि मेरी बहू को सुबह ही खबर मिल गई थी। संतोष कुमार के परिवार में पत्नी संतोषी, 9 साल की बेटी अभिनव और एक 4 साल का बेटा अनिरुद्ध हैं।
कर्नल संतोष कुमार के पिता बी. उपेंद्र के अनुसार, बेटा और पूरा परिवार दिल्ली आने के लिए पैकिंग कर रहे थे। बच्चे भी बहुत उत्सुक थे कि जल्द ही दादा दादी से मिलने जा रहे हैं। हम यह तो पता था कि चीन बॉर्डर पर टेंशन है, लेकिन ऐसा कुछ हो जाएगा, अंदाजा नहीं था।
Santosh Babu की मां बी. मल्लिका बताती हैं कि बेटा बचपन से सेना में जाना चाहता था। 1993 से 2000 के बीच उसने विशाखापत्तन के सैनिक स्कूल में पढ़ाई की थी और उसके बाद सेना में चला गया था। पिता कहते हैं कि Santosh Babu एक आदर्श बेटा था। वह सभी की बड़ी देखभाल करता था। जब भी छुट्टी पर आता था, सबके साथ वक्त गुजारता था।