नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब सीमा विवाद पर मोर्चा संभालने वाले है। भारत तथा नेपाल के बीच चल रहे सीमा विवाद को समाप्त करने में योगी आदित्यनाथ का अहम रोल रहेंगा। नेपाल के नेता चीन के बहकावे में इस तरह की हरकत कर रहे हैं, इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ एक बार नेपाल को चेतावनी भी दे चुके हैं।
भारत और नेपाल के बीच चल रहे तनाव को कम करने में गोरखनाथ मंदिर बड़ी भूमिका निभा सकता है। गोरक्षपीठ की नेपाल में जड़ें काफी गहरी हैं। इस पीठ की वहां पर आमजन तक पहुंच है। विदेशी मामलों के कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि नेपाल से संबंध सुधारने हैं तो इसका एक आसान रास्ता गुरु गोरखनाथ का नाथ पंथ भी हो सकता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्ष पीठाधीश्वर इसमें अहम रोल निभा सकते हैं।
नेपाल की जनता और वहां का शासक वर्ग हमसे अलग होने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकता:योगी
यह वह मजबूत कड़ी है जिससे बंधकर नेपाल की जनता और वहां का शासक वर्ग हमसे अलग होने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकता। नेपाल का शाही परिवार गुरु गोरखनाथ को अपना राजगुरु मानता रहा है। नेपाल और नाथ पंथ एक-दूसरे में ऐसे घुले-मिले हुए हैंष वहां का शासक वर्ग भले कुटिल चाल करने वाले चीन की भाषा बोलने लगें, लेकिन नेपाल की जनता हमेशा भारत के सुर में ही सुर मिलाकर बोलेगी।
नेपाल की जनता और वहां का शासक वर्ग हमसे अलग होने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकता:योगी
गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ भी नाथ पंथ के प्रमुख होने की हैसियत से अक्सर नेपाल की यात्रा करते थे और वहां की जनता उन्हे भगवान गोरक्षनाथ का प्रतिनिधि मानते् हुए उनकी पूजा करती है। गोरक्षपीठ के वर्तमान में गोरक्षपीठाधिश्वर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जिनकी बातों को नेपाल की जनता बहुत सम्मान देती है। वहां के राजनीतिक दलों के लोगों का भी मंदिर के प्रति आकर्षण रहा है। महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवैद्यनाथ अक्सर नेपाल की यात्रा करते थे। गोरखपुर के गोरक्षपीठ के गोरखनाथ मंदिर और नेपाल का संबंध सदियों पुराना हैं। मान्यता है कि नेपाल राजवंश का उद्भव भगवान गोरखनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। जिसके बाद शाह परिवार पर भगवान गोरखनाथ का हमेशा आशीर्वाद बना रहा है। इसी वजह से नेपाल राजवंश ने गुरु गोरखनाथ की चरण पादुका को अपने मुकुट पर बना रखा था, इतना ही नहीं नेपाल के सिक्कों पर गुरु गोरखनाथ का नाम अंकित है। गुरु गोरक्षनाथ के गुरु मक्षयेन्द्रनाथ के नाम पर आज भी नेपाल में उत्सव का आयोजन किया जाता है। नेपाल का राजपरिवार अब भी गुरु गोरखनाथ को अपना राजगुरु मानता है। मकर संक्राति के दिन भगवान गोरखनाथ को पहली खिचड़ी गोरक्षपीठाधीश्वर चढ़ाते हैं तो दूसरी खिचड़ी आज भी नेपाल नरेश की ओर से चढ़ाई जाती है। गोरखनाथ मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी ने बताया कि कई बार नेपाल नरेश खुद खिचड़ी चढ़ाने यहां आए, नहीं तो उनका कोई न कोई प्रतिनिधि यहां पर खिचड़ी चढ़ाने जरूर आता है। उसको यहां से नेपाल की सुख शांति के लिए महारोट का प्रसाद दिया जाता है।