चंडीगढ़। हरियाणा में गेहूं की खरीद का काम पूरा हो चुका है लेकिन इस बार भारी संख्या में किसान गेहूं लेकर मंडियों में नहीं पहुंचे। किसानों ने गेहूं को स्टोर कर लिया है। जिसके चलते पिछले साल के मुकाबले इस साल 17 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कम हुई है। प्रदेश में गेहूं का सीजन समाप्त हो गया है और सरकार किसानों को इंसेटिव देने का वादा भी पूरा नहीं कर सकी है।
हरियाणा में इस साल 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू की थी। कोरोना के चलते सरकार ने पहली बार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 1800 से अधिक खरीद केंद्र स्थापित करके गेहूं की खरीद करवाई। हरियाणा सरकार ने खरीद प्रक्रिया शुरू होने से पहले किसानों को गेहूं अपने-अपने परिसर में स्टोर करने की अपील करते हुए कहा था कि जो किसान गेहूं को स्टोर करेंगे उन्हें केंद्र की मदद से इंसेटिव दिया जाएगा।
केंद्र ने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए और हरियाणा सरकार भी पल्ला झाड़ गई। इस बीच सरकार का दावा है कि जितने किसानों ने मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर गेहूं बेचने के लिए अपना पंजीकरण कराया था, उन सभी को मैसेज (एसएमएस) भेजकर मंडियों में बुलाया गया और उनका सारा यानी सौ फीसदी गेहूं खरीद लिया गया है।
पिछले साल के मुकाबले 17 लाख टन कम हुई गेहूं की खरीद
सरकार पूरा नहीं कर पाई इंसेटिव देने का वादा
हरियाणा में हजारों किसान अभी भी ऐसे हैं, जो कोरोना महामारी के चलते भविष्य में अनाज भंडारण की मंशा से अपना गेहूं बेचने मंडियों में नहीं आए। ऐसे लोगों को तीन-तीन बार मैसेज भेजने का दावा किया गया है, लेकिन वह गेहूं बेचने के लिए नहीं पहुंचे। इन किसानों के मंडी में नहीं आने का मतलब सरकार ने यह लगा लिया कि उन्हें अपना माल नहीं बेचना है तथा उन्होंने गेहूं के बीच तथा अपने खाने के लिए गेहूं का भंडारण कर लिया है। कुछेक किसान ऐसे भी हैं, जो गेहूं खरीद शुरू होने से पहले ही अपना गेहूं बेच चुके थे, जिसका कोई रिकार्ड नहीं है। इसके बावजूद प्रदेश की मंडियां 30 जून तक खुली रहेंगी, लेकिन बिना रजिस्ट्रेशन वाले किसी भी किसान का गेहूं नहीं खरीदा जाएगा।
अधिकारिक तौर पर सरकार द्वारा 31 मई तक गेहूं खरीद प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। एक जून से छह जून तक उन किसानों को अपना गेहूं मंडियों में लाने का मौका दिया गया, जिन्हें कृषि विभाग की ओर से मंडी में फसल लाने के लिए दो से तीन बार तक मैसेज भेजे गए, मगर वह नहीं पहुंचे। हरियाणा के किसानों की 76 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने के बाद अब सरकार ने खरीद प्रक्रिया पर ब्रेक लगा दिया है।
प्रदेश सरकार ने पिछले साल 93 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा था। पिछले साल की अपेक्षा इस बार 17 लाख मीट्रिक टन गेहूं कम खरीदा गया है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि प्रदेश के बाहर के किसानों ने भी गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। जिन लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया, उन सभी का गेहूं खरीद लिया गया। कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि अब हमारे पास ऐसा कोई किसान नहीं बचा, जिसका रजिस्ट्रेशन है और वह अपनी फसल नहीं बेच पाया। सभी को दो से तीन बार मैसेज भेजे तथा उन्हें फसल बेचने का मौका दिया गया, जो नहीं आया, उसका मतलब यह हुआ कि वह अनाज का भंडारण करना चाहता है।