चंडीगढ़। हरियाणा के किसान अब मार्केटिंग और बिजनेंस मैनेजमेंट के गुर सीखकर अपने उत्पाद को नए आयाम दे सकेंगे। किसानों के दिमाग में आने वाले आईडिये को नया रूप देने के लिए हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी अब बिजनेसमैन भी तैयार कर रही है। एचएयू में उत्तर भारत का पहला ‘एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर’ स्थापित किया गया है। जहां प्रोफेशनल किसान तैयार किए जा रहे हैं। इस सेंटर का उद्देश्य कृषि व कृषि से संबंधित एंग्री स्टार्टअप को बढ़ावा देना है।
सेंटर को अभी शुरू के केवल एक वर्ष ही हुआ है इस एक वर्ष के दौरान 34 नए स्टार्टअप रजिस्टर्ड हो चुके हैं। खुद का बिजनेस शुरू करने के इच्छुक किसानों व युवाओं को इस काम के लिए न केवल ट्रेनिंग मिलेगी बल्कि वे खुद अपने हाथों से अपने उत्पाद तैयार भी कर सकेंगे। पैकिंग, ग्रेडिंग से लेकर तमाम काम वे खुद करने में सक्षम होंगे। छोटे बिजनेस के लिए तो यूनिवर्सिटी का यह सेंटर ही 5 से 25 लाख रुपये तक की अनुदान राशि मुहैया करवाने में मदद करता है। बड़े बिजनेस के लिए कई बैंकों के प्रतिनिधि इस सेंटर में ही मौजूद हैं जो केंद्र की नीतियों के तहत सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज मुहैया करवाते हैं।
हिसार में बना उत्तरी भारत का पहला एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर
‘एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर’ के फोकस में डेढ़ दर्जन से अधिक कृषि व इससे जुड़े सेक्टर हैं। इसके लिए बाकायदा कोर्स तय किए गए हैं। इनमें मशरूम व बायो-पेस्टिसाइड प्रोड्क्शन, प्रोटेक्शन ऑफ क्रॉप्स, डेवलेपमेंट ऑफ न्यू वेराइटिज, आर्गेनिक फार्मिंग, फार्म मैनेजमेंट, फार्टिकल्चर, हार्टिकल्चर, एग्रीकल्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन एग्रीकल्चर, प्रोसेसिंग एंड वेल्यू एडिशन, एग्री वेस्ट मैनेजमेंट, क्वालिटी एश्योरेंस, सर्टिफिकेशन एंड ब्रांडिंग, नर्सरी राइजिंग, मार्केटिंग, टिशू कल्चर तथा बायो-गैस/बायो-फर्टिलाइजर प्रोड्क्शन आदि प्रमुख हैं। अलग-अलग क्षेत्र से संबंधित 50 से भी अधिक एक्सपटर्् जो कि पूरे भारत से हैं इनक्यूबेशन सेंटर के साथ जुड़े हुए हैं जो समय-समय पर नई स्टार्टअप्स के लिए सलाह और अपना अनुभव प्रदान करते रहते हैं।
किसानों को सपनों को पंख लगाएगी सरकार
व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए यह सेंटर बैंक्स के साथ-साथ इन्वेस्टर व इंडस्ट्रीज के साथ भी जुड़ा हुआ है। केंद्र सरकार व नाबार्ड की योजनाओं के तहत इस तरह के केवल दो ही सेंटर हैं। पहला हिसार में तो दूसरा तमिलनाडु में। ‘मेक इन इंडिया’ को ध्यान में रखते हुए यह सेंटर स्थापित किया है। इस सेंटर में देश की नामचीन आईआईटी व आईआईएम के अलावा दूसरे सेंटर भी स्टडी कर रहे हैं। सेंटर का मुख्य उद्देश्य कृषि उद्यमशील तैयार करना है। ईंट-भ_ों में हाईटैक सिस्टम से लेकर फार्मिंग तक की ट्रेनिंग यहां उपलब्ध है। अहम बात यह है कि इस सेंटर ने कई प्रगतिशील किसानों के अलावा एग्री सेक्टर के बड़े उद्यमियों के साथ टाई-अप किया हुआ है।
जनरेशन रूम में आइडिया लेकर आते हैं युवा किसान
जहां जाकर किसान प्रेक्टिकली ट्रेनिंग भी ले सकते हैं। यह अपनी तरह का पहला सेंटर है, जहां आपके आइडिया के हिसाब से स्टार्टअप के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर एक ही छत के नीचे उपलब्ध है। सबसे पहले कंपनी बनानी होगी और इसके लिए सेंटर में सीएम उपलब्ध हैं। फिर कंपनी को स्टार्टअप कंपनी में पंजीकृत करवाने के लिए अलग से सीए रखा गया है। आइडिया जनरेशन रूम भी सेंटर में बनाया है। इसमें ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों के लिए तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद हैं। सीएसआर के अलावा बिजनेस घरानों द्वारा भी पैसों का प्रबंध किया जाता है। यानी आइडिया किसान को होगा और उस पर खर्चा बिजनेसमैन करेंगे।
पीएम नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम को देखते हुए यह सेंटर विकसित किया है। हमारी कोशिश है कि इस सेंटर के जरिये अधिक से अधिक युवाओं का खुद का बिजनेस शुरू करवाया जा सके। बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी इससे पैदा होंगे। एग्रो आधारित लघु व मध्यम उद्योगों का हब गांवों में विकसित होगा। इससे गांवों के लोगों को भी फायदा होगा। हम एक्सपोर्ट क्वालिटी का बिजनेस भी प्रदेश में खड़ा कर सकते हैं।
डॉ.केपी सिंह, हकृवि के वीसी।