चंडीगढ़। हरियाणा के शिक्षक सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में अध्यापक व छात्र अनुपात बढ़ाए जाने के फैसले के विरोध में आ गए हैं। शिक्षकों ने शुक्रवार को हरियाणा के शिक्षा मंत्री से मुलाकात करके पुराने नियमों को लागू करने की मांग की है। शिक्षकों ने ऐलान किया है कि अगर सरकार ने उनकी यह मांग नहीं मानी तो अन्य कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर वह संघर्ष की रणनीति का ऐलान करेंगे।
हरियाणा सरकार ने गुरुवार को एक पत्र जारी करके प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नए सिरे से रेशनेलाइजेशन फार्मूला लागू किया था। जिसके तहत अब स्कूलों में 1:25 की बजाए 1:30 के अनुसार पढ़ाई होगी। शिक्षा विभाग ने जेबीटी, टीजीटी व सीएंडवी अध्यापकों के लिए रेशनलाइजेशन प्रक्रिया के लिए विवरण मांगा है। मौलिक शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में अधिक से अधिक बच्चों को अध्यापक उपलब्ध करवाने के लिए जेबीटी, टीजीटी व सीएंडवी अध्यापकों का रेशनलाइजेशन किया जाएगा।
इसके लिए विभाग ने प्रदेश के समस्त जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को 31 मई तक विवरण उपलब्ध करवाने के लिए पत्र लिखा है। आरटीई एक्ट 2009 के नियमों के तहत 30 सितंबर 2019 को स्कूलों में दर्ज विद्यार्थी संख्या के आधार पर जेबीटी, टीजीटी व सीएंडवी अध्यापकों का रेशनलाइजेशन किया जाना है। रेशनलाइजेशन करते वक्त विभाग द्वारा निर्धारित मापदंडों को आधार माना जाएगा।
मौलिक शिक्षा हरियाणा द्वारा रेशनलाइजेशन के मानदंड तय किए गए हैं। इस पर हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन ने आपत्ति जताई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश मलिक, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रतिनिधि भूप सिंह वर्मा ने बताया कि रेशनलाइजेशन के नियम हाईकोर्ट द्वारा स्थापित नियमों के विपरित हैं। एसोसिएशन शीघ्र स्थानांतरण के पक्ष में है, लेकिन रेशनलाइजेशन बारे सभी जिला कार्यकारिणी और पदाधिकारियों व एसोसिएशन के सदस्यों से सुझाव आमंत्रित किए जा रहे हैं ताकि समुचित और एक सर्वमान्य मांग सरकार के सामने रखी जा सके।
सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए शिक्षकों ने शुक्रवार को हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर से मुलाकात की। इस बैठक में शिक्षकों ने पुराने रेशनलाइजेशन फार्मूले को लागू करने, कैप्ट वेकेंसी को खोलने,प्रमोशन के बाद ही सरप्लस अध्यापकों को समायोजित करने की मांग की।