चंडीगढ़। जल संकट से जूझ रहे हरियाणा में शुरू की गई मेरा पानी मेरी योजना पर हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के सुर नरम पड़ गए हैं। उत्तर हरियाणा के आठ जिलों के आठ ब्लाक में सरकार ने पानी बचाने की मंशा से धान की खेती पर रोक लगाने के आदेश जारी किए थे। ऐसा करने वाले किसानों को फसल विविधिकरण के तहत साढ़े सात हजार रुपये प्रति एकड़ देने का प्रावधान था। विपक्ष व किसानों के विरोध के चलते सरकार ने अब किसानों के धान उगाने के फैसले को स्वैच्छिक कर दिया है। अब अपनी मर्जी से किसान धान की खेती कर सकेंगे। पंचायती जमीन पर धान नहीं बोने का फैसला जस का तस रहेगा।
हरियाणा सरकार के धान की फसल नहीं बोने संबंधी फैसले पर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, प्रदेश अध्यक्ष कु. सैलजा, कांग्रेस नेता किरण चौधरी और इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने सवाल उठाए तो सरकार को पूरे मामले में बृहस्पतिवार को स्थिति साफ करनी पड़ी। पहले कृषि मंत्री जेपी दलाल ने सफाई दी। बाद में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक के बाद कहा कि धान नहीं बोने का फैसले का कोई नोटिफिकेशन नहीं निकाला गया है। यह मात्र एक एडवाइजरी है। धान न बोने के लिए किसानों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। यह एक स्वैच्छिक फैसला है।
किसान यदि अपील को मानते हैं तो इसमें उन्हीं का फायदा है और जल का बचाव हो सकेगा। बता दें कि धान की खेती पर रोक लगाने संबंधी फैसले से भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल समेत कुछ सांसद और विधायक लक्ष्मण नापा समेत कुछ एमलए भी खुश नहीं हैं। जननायक जनता पार्टी के विधायक ईश्वर सिंह और रामकरण काला ने भी सरकार के इस फैसले पर अंगुली उठाई थी। रणदीप सुरजेवाला व कु. सैलजा जहां मिलकर धरने दे रहे हैं, वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक जून से फील्ड में उतरने का ऐलान किया था। भाकियू नेता गुरनाम चढूनी, कांग्रेस नेता किरण चौधरी, अशोक अरोड़ा और कुलदीप बिश्नोई भी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं।