नई दिल्ली , 23 मई: चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने दुनिया में अब तक 52 लाख से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस वायरस की वजह से अब तक 3.38 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है। कोरोना की वैक्सीन खोजने में पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। वहीं एक अध्ययन के मुताबिक गिल्ड साइंसेज इंक की रेमेडिसविर दवा को मंजूरी दी गई है। ये दवा सिर्फ स्वस्थ मरीजों पर काम कर रही है, जो वेंटिलेटर या फिर हार्ट बायपास मशीनों पर निर्भर नहीं है। रिकवरी रेट को बढ़ा रही ये दवा न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के मुताबिक इस रेमेडिसविर से जिन लोगों का इलाज किया गया, उनकी हालत में तेजी से सुधार हुआ। इसके साथ ही वे 11 दिनों में डिस्चार्ज हो गए। वहीं प्लेसबो से जिन लोगों का इलाज किया गया था, वो औसतन 15 दिन में ठीक हो रहे थे। ये भी संकेत मिले हैं कि इस दवा से सर्वाइवल रेट में वृद्धि हुई है। रेमेडिसविर के रोगियों में 7.1% और प्लेसबो में 11.9% मरीज दो सप्ताह के भीतर मर गए। विशेषज्ञों के मुताबिक रेमेडिसविर रिकवरी के वक्त को 27 फीसदी तक कम कर रहा है। डेटा का हुआ विश्लेषण कुछ निवेशकों ने शुरू में उपलब्ध कम जानकारी की वजह से इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। निष्कर्षों पर पहली नजर तब पड़ी जब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के प्रमुख एंथोनी फौसी ने पिछले महीने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ ओवल कार्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान नतीजों पर विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में सभी डेटा उपलब्ध होने से पहले प्रारंभिक परिणामों का विश्लेषण किया। गिल्ड साइंसेज इंक के मुताबिक प्रकाशित अध्ययन में रोगियों में रेमेडिसविर के उपयोग का समर्थन किया गया है और कहा गया है कि इसका सबसे बड़ा लाभ उन लोगों में देखा गया है, जिन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं है। रोगियों के एक ही समूह को देखने वाले एक अन्य अध्ययन को शीघ्र ही प्रकाशित किया जाना चाहिए। अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित आपको बता दें कि दुनिया में कोरोना वायरस के अब तक 53,06,235 मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से 3,40,047 लोगों की मौत हुई है, जबकि 21,60,156 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं। मौजूदा वक्त में अमेरिका कोरोना का केंद्र बना हुआ है। वहां पर अब तक 16,45,094 मरीज सामने आ चुके हैं। जिसमें से 97 हजार लोगों की मौत हुई है। वैक्सीन नहीं होने के कारण कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है।