चंडीगढ़, 18 मई । सार्वजनिक क्षेत्र को निजीकरण के लिए खोलने, श्रम कानूनों को समाप्त करने और कर्मचारियों की जबरन वेतन कटौती करने, डीए व एलटीसी बन्द करने से मजदूरों व कर्मचारियों का सब्र का बांध टूट गया।
केन्द्र व राज्य सरकारों के खिलाफ देश की तमाम केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संघों की फेडरेशनों ने मोर्चा खोल दिया है। सभी संगठनों ने मिलकर 22 मई को देशव्यापी प्रतिरोध दिवस आयोजित कर केंद्र एवं राज्य सरकारों पर हल्ला बोलने का ऐलान कर दिया है।
प्रदेश के कर्मचारियों के बीच सक्रिय सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने इस हल्ला बोल में शामिल होने का ऐलान कर दिया है। यह निर्णय सोमवार को प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा की अध्यक्षता में विडियो कान्फ्रेसिंग द्वारा आयोजित राज्य कमेटी की मीटिंग में लिया गया। मीटिंग जिसमें सभी 22 ज़िलों के प्रधान व सचिव भी शामिल हुए। मीटिंग में पैदल अपने घरों को जा रहे मजदूरों की सडक़ एक्सीडेंट में हुई दर्दनाक मौत पर दु:ख व्यक्त करते हुए श्रृद्धांजलि अर्पित की गई और पलायन रोकने के लिए मजदूरों के खातों में 7500 रुपए मासिक डालने और मृतकों के आश्रितों को 50-50 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की गई। सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि मीटिंग में 22 मई को सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों,नगर निगमों, परिषदों, पालिकाओं व विश्वविद्यालयों के कर्मचारी हाथों में सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के खिलाफ लिखी नारों की तख्तियां लेकर भोजनावकाश के समय प्रर्दशन किए जाएंगे। इस प्रदर्शनों में कर्मचारियों की संख्या समिति रखी जाएगी और शारीरिक दूरी के नियमों की कड़ाई से पालना की जाएगी।