चंडीगढ़, 17 मई। उत्तर प्रदेश सरकार की मनमर्जी की वजह से हरियाणा श्रमिकों को लेकर सहारनपुर गई 50 बसें वापस लौट आई। इन बसों में गये लगभग 1500 श्रमिक भी वापस आ गए हैं। तय शर्तों और पहले हो चुकी बातचीत के हिसाब से हरियाणा सरकार की ड्यूटी इन श्रमिकों को सहारनुपर ड्रॉप करने की थी। यहां से यूपी रोडवेज की बसों में ये श्रमिक अपने-अपने गांव तक पहुंचते। सहारनपुर प्रशासन ने वहां हुई पुलिस लाठीचार्ज का बहाना बनाते हुए हरियाणा से गए श्रमिकों को रिसीव करने से इंकार कर दिया। दरअसल, यमुनानगर की तरह ही यूपी में भी पुलिस ने मजदूरों पर लाठीचार्ज किया। इसी वजह से पूरा प्रशासन मजदूरों से निपटने में जुटा था। एकदम पंद्रह सौ और मजदूरों को संभालना सहारनपुर प्रशासन के बस से बाहर था। ऐसे में बसों को वापस यमुनानगर लाया गया।अपने प्रदेश लौटने की चाह रखने वाले हरियाणा में रहे लाखों कामगारों व प्रवासी मजदूरों की लगातार दुर्गति हो रही है। रा’य सरकार इन कामगारों व प्रवासी मजदूरों को उनके मूल रा’यों में भेजना चाहती है। इसके लिए सरकार ने पुख्ता इंतजामों का दावा भी किया है, मगर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड समेत विभिन्न रा’य सरकारें हरियाणा सरकार को इन प्रवासियों को भेजने के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) नहीं दे रही हैं।बिना एनओसी के न तो रेलगाड़ी बुक की जा सकती है और न ही बसें भेजी जा सकती हैं। हरियाणा में हाल फिलहाल करीब आठ लाख मजदूर हैं। करीब एक लाख मजदूरों को उनके रा’यों में भेजा जा चुका है। यहां मौजूद काफी मजदूर हालांकि अब अपने प्रदेश लौटने से इंकार कर रहे हैं, क्योंकि फैक्ट्रियां खुलने लगी हैं। पंजाब से आए लोगों के हरियाणा में ही ठहर जाने की वजह से इन मजदूरों का आंकड़ा ’यों का त्यों बरकरार है।प्रदेश के गृह गृह अनिल विज ने कहा, वहां मजदूर पहले से आंदोलनरत थे। उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने हमारे अफसरों से कहा कि इन मजदूरों को वापस लिया जाए, क्योंकि स्थिति कंट्रोल में नहीं है और उनके रुकने का कोई इंतजाम नहीं हो सकता।